प्रीति सदा सज्जन संसर्गा।तृन सम बिषय स्वर्ग अपबर्गा।।
राम का मंदिर तो बन जाएगा पर राम को खो कर!
- पाठकों के विचार
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- 6 Aug, 2020

क्या यह सिर्फ़ विडंबना है कि इसी राम के नाम पर बननेवाले मंदिर के लिए 5 अगस्त 2020 ई. को भूमि पूजन हुआ जिसकी बुनियाद ही ‘शठता’ पर टिकी है?
भगति पच्छ हठ नहिं सठताई।
दुष्ट तर्क सब दूरि बहाई।।
ये पंक्तियाँ हिंदी क्षेत्र के सबसे बड़े रामभक्त कवि तुलसीदास के प्रसिद्ध काव्य रामचरितमानस की हैं। प्रसंग है कि ‘रामराज्य’ स्थापित हो चुका है और राम जनता को संबोधित कर रहे हैं। इस संबोधन में राम यह बता रहे हैं कि कौन लोग उन्हें प्रिय हैं। राम का कहना है कि वैसे लोग उन्हें प्रिय हैं जिन्हें सज्जनों के संसर्ग से प्रीति है, जिसके लिए सभी विषय (भोग–विलास) यहाँ तक कि स्वर्ग तथा मोक्ष भी तृण के समान है, जो भक्ति के पक्ष में हठ करता है, शठता (धोखाधड़ी एवं कुटिलता) नहीं करता और जिसने सभी कुतर्कों को दूर बहा दिया है।
राम द्वारा अपने प्रिय पात्र होने की यह कसौटी उस कवि के राम ने तय की है जिसने अपना सारा जीवन राम नाम के गुणगान में समर्पित कर दिया। राम की इस कसौटी में शठता नहीं करना और सभी कुतर्कों को बहा देना, अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। क्या यह सिर्फ़ विडंबना है कि इसी राम के नाम पर बननेवाले मंदिर के लिए 5 अगस्त 2020 ई. को भूमि पूजन हुआ जिसकी बुनियाद ही ‘शठता’ पर टिकी है?