12 मई 2020 ई. की रात दस बज कर अठारह मिनट पर मेरे मोबाइल की घंटी बजी। स्क्रीन पर नाम चमक रहा था – डॉ. अपूर्वानंद। मैंने फ़ोन उठाया और उधर से आवाज़ आई कि ‘नवल जी गुज़र गए।’ मेरे मुँह से अकबकाहट और बेचैनी में निकला कि ‘कब? कैसे?’ हालाँकि यह जान रहा था कि वरिष्ठ आलोचक नंदकिशोर नवल लगभग दस दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। थोड़ी देर पहले ही उनकी पुत्री और हमारी पूर्वा दीदी से उनकी तबीयत के बारे में बातचीत हुई थी। पहले वह घर में गिर गए थे और बाद में उन्हें न्यूमोनिया हो गया जिससे वह उबर नहीं पाए।