2 सितंबर! पिछले बीस वर्षों से लगातार इस तारीख़ को सुबह 7 से 8 या कभी–कभी 8 से 9 के बीच में एक फ़ोन ज़रूर आता था। हो सकता है कि 1 सितंबर को ही बात हुई हो फिर भी 2 की सुबह फ़ोन की घंटी ज़रूर बजती थी। यह जन्मदिन में शामिल होने की दावत हुआ करती थी। इस बार सीधे फ़ोन नहीं आया। पर सुबह से रात तक मन में वह आवाज़ गूँज रही है।