2 सितंबर! पिछले बीस वर्षों से लगातार इस तारीख़ को सुबह 7 से 8 या कभी–कभी 8 से 9 के बीच में एक फ़ोन ज़रूर आता था। हो सकता है कि 1 सितंबर को ही बात हुई हो फिर भी 2 की सुबह फ़ोन की घंटी ज़रूर बजती थी। यह जन्मदिन में शामिल होने की दावत हुआ करती थी। इस बार सीधे फ़ोन नहीं आया। पर सुबह से रात तक मन में वह आवाज़ गूँज रही है।
प्रो. नंदकिशोर नवल: सदेह होना ही होना नहीं
- साहित्य
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- 3 Sep, 2020

हिंदी के प्रख्यात आलोचक प्रो. नंदकिशोर नवल का जन्मदिन 2 सितंबर को था। उनका इसी साल 12 मई को निधन हो गया था।
2 सितंबर हिंदी के प्रख्यात आलोचक प्रो. नंदकिशोर नवल (2 सितंबर 1937 – 12 मई 2020 ई.) का जन्मदिन है। वह अपना जन्मदिन ख़ूब उत्साह से मनाते थे। पटना और हाजीपुर के कई लेखक, जो अलग–अलग उम्र के होते थे, शाम में प्रो. नंदकिशोर नवल के घर जमा होते थे। शाम पाँच बजे से ले कर रात दस बजे तक हँसी, ठहाके, साहित्यिक और बौद्धिक चर्चा से वातावरण गुलजार रहता था। समोसा, कचौड़ी, इमरती, कटलेट, मिठाई और कॉफ़ी की ठोस उपस्थिति में इन पर भी ख़ूब क़िस्से होते थे।