सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच किसी भी तरह का तालमेल बिठाने में कांग्रेस हाईकमान असफल रहा है और अब पूर्व डिप्टी सीएम नई राह तय कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट ने तय कर लिया है कि वह अपनी नई पार्टी बनाएंगे। मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने इसका नाम भी तय कर लिया है। वे प्रगतिशील कांग्रेस नाम से नई पार्टी बना सकते हैं। इस नई पार्टी की घोषणा 11 जून को जयपुर में की जा सकती है। यह दिन इसलिए भी खास है कि इसी दिन सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि भी है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस दिन बड़ी घोषणा हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट इन दिनों अपने क्षेत्रीय संगठन की रूपरेखा को अंतिम रूप दे रहे हैं।पार्टी की घोषणा से पहले सोमवार को सचिन पायलट राज्यसभा सांसद विवेख तनखा के साथ सतना जिले में स्थित मैहर मंदिर में मां शारदा का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। सूत्र बताते हैं कि पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट जयपुर में रैली करने और जल्द ही इसकी घोषणा कर सकते हैं।
बड़ा सवालः कितने विधायक जाएंगे
सचिन पायलट के कांग्रेस छोड़ने और नई पार्टी बनाने के संभावित राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि पायलट कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाते हैं तो कितने विधायक उनके साथ जाएंगे। कितने कार्यकर्ताओं और लोगों का उन्हें साथ मिलेगा।सवाल यह भी उठ रहा है कि उनके समर्थक विधायकों के कांग्रेस से अलग होने से क्या गहलोत सरकार की स्थिरता पर प्रभाव पड़ेगा।इससे पहले 2020 में भी जब पायलट ने बागी तेवर अपनाए थे तो उस समय उनके साथ 19 विधायक थे। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर वह नई पार्टी बनाते हैं तो कई विधायक उनके साथ जा सकते हैं।
अपनी ही सरकार पर आक्रामकः राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार पर कई आरोप लगाए हैं, जिनमें से एक प्रमुख आरोप यह है कि भाजपा की वसुंधरा सरकार दौरान हुए भ्रष्टाचार की जांच नहीं कराई गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनका टकराव लगातार कांग्रेस नेतृत्व को परेशान करता रहा है।
जुलाई 2020 में पायलट ने खुले तौर पर बगावत कर दी थी। तब पायलट उपमुख्यमंत्री थे और उन्होंने सीएम पद का दावा किया था। उस समय उन्होंने करीब 30 विधायकों के समर्थन का दावा किया था। तब लंबी सियासी उठापटक के बाद मामला शांत हुआ और मुख्यमंत्री गहलोत सरकार बचा पाएं थे। उस विद्रोह के चलते पायलट को उपमुख्यमंत्री पद और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष का पद गंवाना पड़ा था।
इस बीच पायलट ने 11 अप्रैल को पिछली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान कथित भ्रष्टाचार और गहलोत की निष्क्रियता के खिलाफ एक दिन का अनशन भी किया था। उन्होंने आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी के खिलाफ जांच शुरू करने की मांग भी की थी।
अनशन के एक महीने बाद पायलट ने 5 दिन की पदयात्रा भी की। 11 मई को, उन्होंने 125 किलोमीटर लंबी यात्रा की। इस दौरान राज्य में भ्रष्टाचार, पेपर लीक जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने अशोक गहलोत सरकार के सामने तीन मांगे रखी और उन्हें पूरा करने के लिए 15 दिन का अलटीमेटम भी दिया।
इस बीच उनका राज्यव्यापी आंदोलन अल्टीमेटम पूरा होने के बाद भी शुरू नहीं हो सका। इससे पहले आलकमान ने दिल्ली में सुलह वाली बैठक बुलाई। बैठक के बाद लग रहा था कि अब सब सुलझ गया है लेकिन अब एक बार फिर से राजनैतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। अब सबका ध्यान 11 जून पर है कि इस दिन पायलट क्या घोषणा करते हैं।
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