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फोटो साभार: ट्विटर/@jyotisinghjourn

उत्तराखंड: 'लव जिहाद' के बहाने मुस्लिमों को दुकानें खाली करने का पोस्टर

नफ़रत करने की भी हद होती है! किसी एक शख्स के अपराध के लिए क्या पूरे समुदाय को सजा दी जा सकती है? वह भी एक ऐसा अपराध जिसके आरोपी एक हिंदू और एक मुस्लिम हो! ऐसे ही एक अपराध के लिए उत्तराखंड के उत्तरकाशी शहर में मुस्लिम व्यापारी निशाने पर आ गए हैं। एक तरह से उनको आर्थिक बहिष्कार जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। वह भी 'लव जिहाद' के नाम पर। शहर में कुछ लोगों ने ऐसे पोस्टर चिपका दिए हैं जिसमें चेतावनी दी गई है कि मुस्लिम व्यापारी 15 जून तक दुकानें खाली कर दें। इस चेतावनी से मुस्लिमों में खौफ है। दुकानें बंद हैं और कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि अब वे डर के साये में अपना व्यापार बंद करना चाहते हैं।

यह सब हिंदू-मुस्लिम तनाव के बीच हो रहा है। 26 मई को उत्तरकाशी में उस समय तनाव बढ़ गया जब दो लोगों ने कथित तौर पर नाबालिग को अगवा करने का प्रयास किया। मीडिया रिपोर्टों में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि अपहरण की कोशिश विफल होने के बाद आरोपी फरार हो गए थे और अगले दिन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन इसके बाद भी यह मामला थमा नहीं।

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यह विवाद धीरे-धीरे बढ़ता गया। 29 मई को पुरोला में एक विरोध मार्च उस समय हिंसक हो गया जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने मुसलमानों की दुकानों और प्रतिष्ठानों पर हमला कर दिया। मुसलमानों की कई दुकानें 29 मई से ही बंद हैं। यमुना घाटी हिंदू जागृति संगठन के बैनर तले शनिवार को भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया गया। 

प्रदर्शनकारियों ने कस्बे में व्यवसाय करने के लिए बाहर से आने वाले लोगों का सत्यापन कराने की मांग को लेकर एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार उस ज्ञापन में कहा गया है कि शहर में व्यवसाय करने की आड़ में एक विशेष समुदाय के कुछ लोग अनैतिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है। 

यह विवाद उस मामले के बाद शुरू हुआ जब पिछले महीने अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति और हिंदू समुदाय के एक व्यक्ति ने 14 वर्षीय लड़की का कथित तौर पर अपहरण का प्रयास किया। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार दोनों आरोपी- एक स्थानीय दुकानदार उबेद खान और एक मोटरसाइकिल मैकेनिक जितेंदर सैनी को कथित अपहरण के प्रयास के लिए 27 मई को गिरफ्तार किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि यह 'लव जिहाद' का मामला था।
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अब शहर में जो पोस्टर लगा है उसपर लिखा हुआ है, 'लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून, 2023 को होने वाली महापंचायत से पूर्व अपनी दुकान खाली कर दें। यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता, तो वक्त पर निर्भर करेगा।' पोस्टर में सबसे नीचे 'देवभूमि रक्षा अभियान' लिखा हुआ है। 

दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों द्वारा बरकोट में विरोध प्रदर्शन करने और कथित तौर पर मुसलमानों की दुकानों और घरों पर हमला करने के दो दिन बाद सोमवार को पोस्टर सामने आए। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने यह भी कहा कि पोस्टर सोमवार को ही हटा दिए गए थे और उन्हें चिपकाने वालों की पहचान करने के लिए जांच की जा रही है। 

रिपोर्ट के अनुसार एक स्थानीय विश्व हिंदू परिषद के नेता ने कहा कि पोस्टर स्थानीय निवासियों द्वारा चिपकाए गए थे। उन्होंने कहा, 'ये पोस्टर स्थानीय निवासियों द्वारा लगाए गए थे जो चाहते हैं कि एक विशेष समुदाय के लोग शांति और सांप्रदायिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए शहर छोड़ दें। वे व्यापार करने के बहाने यहां आए थे लेकिन हमारे समुदाय की लड़कियों और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं।'

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रिपोर्ट के अनुसार पुरोला व्यापार मंडल के अध्यक्ष बृज मोहन चौहान ने कहा, 'सभी मुस्लिम व्यापारियों और दुकानदारों का सत्यापन अभियान चलाया जाना चाहिए। जो अपराधी किस्म के हैं उन्हें शहर में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अन्य स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं।' 

रिपोर्ट के अनुसार पुरोला में कपड़े की एक दुकान चलाने वाले सलीम कहते हैं, 'हम लगातार डर में जी रहे हैं और ऐसे माहौल में पुरोला नहीं लौट सकते। अगर वे चाहते हैं कि हम पहाड़ियों को छोड़ दें, तो अधिकारियों को हमारी संपत्ति के लिए हमें मुआवजा देना चाहिए।' सलीम तनाव के मद्देनजर देहरादून में अपने भाई के घर चले गए हैं।'

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क़मर वहीद नक़वी
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