राजस्थान कैबिनेट के आज के विस्तार के बाद क्या राजस्थान कांग्रेस में अंदरूनी क़लह पर विराम लग जाएगा? कम से कम सचिन पायलट ने तो ऐसा ही संकेत दिया है। उन्होंने मौजूदा विस्तार पर खुशी जताई है। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में पहली बार आज फ़ेरबदल होने जा रहा है। गहलोत की नई कैबिनेट में 30 मंत्रियों में सचिन पायलट के पांच वफादार लोग शामिल होंगे।
सचिन पायलट का ताज़ा बयान इसलिए काफ़ी अहम है क्योंकि राजस्थान में 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से उनके और अशोक गहलोत के बीच संघर्ष चलता रहा है। एक बार तो दोनों गुटों के बीच तलवारें तन गई थीं।
राजस्थान में 2018 में पार्टी को सत्ता तक पहुँचाने में सचिन पायलट की अहम भूमिका मानी जाती है। इसी कारण उन्हें 2018 की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना गया था। लेकिन राहुल गांधी ने उन्हें उप मुख्यमंत्री के लिए राजी कर लिया था। बाद में पायलट और गहलोत के बीच संघर्ष हो गया था और पिछले साल पायलट ने 18 विधायकों के साथ विद्रोह कर दिया था। तब बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया गया था।
गहलोत कैबिनेट के विस्तार को लेकर सचिन पायलट ने पत्रकारों से कहा, 'आज नए मंत्री शपथ लेंगे। विचार-विमर्श के बाद पार्टी और नेतृत्व द्वारा उठाया गया क़दम पूरे राज्य में सकारात्मक संदेश दे रहा है। हमने इस मुद्दे को बार-बार उठाया था। मुझे खुशी है कि पार्टी, आलाकमान और राज्य सरकार ने इसका संज्ञान लिया।'
उन्होंने दो समूहों के मंत्री बनाए जाने जैसे शब्दों पर आपत्ति की। अपने वफादारों को मंत्री बनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा,
“
आप लोग (मीडिया) इसे दो समूहों के बीच लड़ाई के रूप में पेश करते रहते हैं। हम सभी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में काम कर रहे हैं।
सचिन पायलट
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