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फाइल फोटो

राजस्थानः कांग्रेस के 25 में से 17 मंत्री चुनाव हारे, नेता प्रतिपक्ष भी हार चुके 

राजस्थान में भाजपा को बड़ी जीत मिली है। यह जीत कितनी बड़ी है कि इसे इस बात से समझा जा सकता है कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के 25 मंत्री में से 17 मंत्री चुनाव हार चुके हैं।
 यहां की 21 हॉट सीट में से 10 से ज्यादा सीटों पर बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। इस हार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वीकार कर लिया है। उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया है। 
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और दिग्गज कांग्रेस नेता सीपी जोशी खुद चुनाव हार गये हैं। इस तरह की हार भाजपा के खेमे में भी हुई है। भले ही भाजपा की राजस्थान में शानदार जीत हुई है लेकिन इसके कई बड़े नेता हार गये हैं। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे राजेंद्र राठौर और प्रतिपक्ष के उपनेता सतीश पूनिया भी हार चुके हैं। 
राजस्थान में भाजपा की इस जीत पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की नेता वसुंधरा राजे ने कहा है कि राजस्थान की शानदार जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दी हुई गारंटी की जीत है। उन्होंने इसका श्रेय पीएम मोदी और भाजपा शीर्ष नेतृत्व को दिया है। 
दूसरी तरफ सीएम अशोक गहलोत ने अपनी हार को कबूल करते हुए कहा है कि काम करने के बाद भी हम कामयाब नहीं हुए है। इसका मतलब यह नहीं है कि वे काम न करें। यह अप्रत्याशित परिणाम है। 
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि वह इस चुनावी नतीजे को स्वीकार करते हैं, विचारधारा की लड़ाई जारी रहेगी। 
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रिश्तेदारों ने एक दूसरे को हराया

नागौर सीट से कांग्रेस के हरेंद्र मिर्धा ने अपनी भतीजी और भाजपा की प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को हराया है। दांतारामगढ़ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी और जननायक जनता पार्टी की उम्मीदवार रीटा सिंह को शिकस्त दी है।
 रीटा सिंह तीसरे नंबर पर रही हैं। धौलपुर सीट से कांग्रेस की शोभारानी कुशवाह ने अपने जीजा और भाजपा उम्मीदवार शिवचरण कुशवाह को हरा दिया है। 
वहीं, ससुर और दामाद ने एक साथ चुनाव में जीत हासिल की है। फुलेरा सीट से कांग्रेस के विद्याधर सिंह चौधरी जीते हैं जबकि उनके दामाद और भाजपा प्रत्याशी शैलेष सिंह डीग-कुम्हेर से जीते हैं। 
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पीएम मोदी के चेहरे पर पार्टी ने लड़ा था चुनाव 

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजस्थान में भाजपा की जीत के पीछे जो सबसे बड़ा कारण सामने आ रहा वह है पीएम मोदी का चेहरा। भाजपा पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी थी। उसने यहां पार्टी की ओर से किसी को भी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था। इसके बावजूद पूरी पार्टी एकजुटता के साथ चुनाव लड़ी थी। पीएम मोदी के चेहरे पर पार्टी जनता के बीच गई थी। जनता ने पीएम मोदी की गारंटियों पर भरोसा जताया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई विकास योजनाओं को लागू कर जीत का भरोसा जताया था। उन्हें भरोसा था कि राजस्थान की जनता उनकी योजनाओं के कारण उन्हें दुबारा सत्ता में आने का मौका देगी। लेकिन मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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