कांग्रेस आलाकमान के बीच में कूदने के बाद राजस्थान के सियासी दिग्गजों अशोक गहलोत और सचिन पायलट का झगड़ा जैसे-तैसे शांत हो पाया था। लेकिन तब यही कहा गया था कि तलवारें बस म्यान में गयी हैं और किसी भी वक़्त बाहर आ सकती हैं क्योंकि राजनीति में चार दशक से ज़्यादा वक्त का सियासी तजुर्बा रखने वाले अशोक गहलोत नौजवान सचिन पायलट से शिकस्त नहीं खाना चाहते।
हुआ यूं है कि गहलोत सरकार ने ठंडी पड़ चुकी आग में घी डाल दिया है। राजस्थान पुलिस ने सचिन पायलट के मीडिया मैनेजर लोकेंद्र सिंह और आज तक न्यूज़ चैनल के पत्रकार शरत कुमार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है।
पुलिस का आरोप है कि ये लोग जैसलमेर के होटल में ठहरे विधायकों के फ़ोन टैप किए जाने को लेकर भ्रामक और ग़लत ख़बरें फैला रहे थे। राजस्थान में चले पॉलिटिकल ड्रामे के दौरान पायलट कैंप ने आरोप लगाया था कि अशोक गहलोत अपने ही खेमे के विधायकों के फ़ोन टैप करवा रहे हैं। हालांकि राजस्थान पुलिस ने इससे इनकार किया था।
याद दिला दें कि गहलोत ने अपने कैंप के विधायकों को जयपुर और जैसलमेर जबकि पायलट ने अपने विधायकों को मानेसर में रखा था।
पायलट गुट की ओर से इस बारे में एक डॉक्यूमेंट भी जारी कर दावा किया गया था कि अजायब इलेक्ट्रॉनिक्स की ओर से सूर्यगढ़ रिजॉर्ट में चार जैमर भी लगाए गए हैं। पायलट गुट की ओर से कहा गया था कि रिजॉर्ट के इंटरकॉम से की जा रही कॉल्स को रिकॉर्ड किया जा रहा है।
अगस्त में हुए इस सियासी घमासान के बाद अब 1 अक्टूबर को दर्ज एफ़आईआर में पुलिस अफ़सर सत्यपाल सिंह ने कहा है कि कांस्टेबल सुरेंद्र यादव ने उसे दिखाया कि जैसलमेर में ठहरे विधायकों के फ़ोन रिकॉर्ड किए जाने को लेकर वॉट्स ऐप पर फ़ेक न्यूज़ शेयर की जा रही है। सत्यपाल सिंह जयपुर पुलिस कमिश्नर के ऑफ़िस में तैनात हैं।
एफ़आईआर में कहा गया है कि एसएचओ सुरेंद्र पंचोली ने जब इस मामले की तहकीकात की तो उन्होंने पायलट के मीडिया मैनेजर लोकेंद्र सिंह और पत्रकार शरत कुमार के बयान दर्ज किए और इस संबंध में पत्रकार द्वारा दिखाई गई टीवी रिपोर्ट को भी हूबहू लिखा। एफ़आईआर में कहा गया है कि लोकेंद्र सिंह कोई न्यूज़ एजेंसी चलाते हैं। लोकेंद्र सिंह का बयान 20 अगस्त को दर्ज किया गया था।
एफ़आईआर के मुताबिक़, जांच से यह साफ है कि लोकेंद्र सिंह और शरत कुमार फ़ेक न्यूज़ फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि इस फ़ेक न्यूज़ के सोर्स को लेकर इसमें कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन लोगों को हैरानी इस बात की है कि अगस्त की घटना को लेकर अब जाकर एफ़आईआर दर्ज करने की क्या वजह है।
शरत कुमार का कहना है कि सभी न्यूज़ चैनल्स ने यह स्टोरी सुबह से शाम तक चलाई थी लेकिन एक ही चैनल को क्यों निशाने पर लिया जा रहा है।
एफ़आईआर में यह भी कहा गया है कि लोकेंद्र सिंह और शरत कुमार पर आरोप है कि उन्होंने फ़ेक न्यूज़ स्टोरी बनाई और बिना कोई पड़ताल किए 7 अगस्त को इसे सोशल मीडिया पर चला दिया। एफ़आईआर के मुताबिक़, पुलिस राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर के दफ़्तर पहुंची तो उन्होंने कहा कि उन्होंने लोकेंद्र सिंह की न्यूज़ एजेंसी और आज तक की ख़बर के आधार पर ऐसी ख़बर छापी।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी पंजाब में कहते हैं कि उन्हें फ्री प्रेस और कुछ अहम संस्थान दे दिए जाएं तो मोदी सरकार ज़्यादा दिन नहीं रहेगी लेकिन राजस्थान में तो गहलोत मोदी की ही तरह बर्ताव कर रहे हैं।
कांग्रेस आलाकमान के लिए सिरदर्द
कांग्रेस आलाकमान के लिए राजस्थान बहुत बड़ा सिरदर्द है क्योंकि पायलट की सियासी ख़्वाहिश राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की है लेकिन गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत और समर्थकों को सत्ता सौंपना चाहते हैं। पायलट को दिल्ली बुलाकर संगठन में जिम्मेदारी देने की बात भी चली लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। बहरहाल, एक जंगल में दो शेर नहीं रह सकते और इनमें से देर-सबेर एक ना एक को तो जाना ही होगा।
अपनी राय बतायें