राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को अपने उम्मीदवारों की चौथी सूची जारी कर दी है। इस चौथी सूची में 56 उम्मीदवारों को जगह मिली है।
चौथी सूची में कांग्रेस ने जहां सात मौजूदा विधायकों का टिकट काट लिया है वहीं 32 नये चेहरों पर भरोसा जताया गया है। कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ को उदयपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है।
पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ को बाली सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी ने मानवेंद्र सिंह को बाड़मेर जिले की सिवाना सीट से टिकट दिया है। सचिन पायलट गुट के खिलाड़ी लाल बैरवा को भी इस सूची में जगह दी गई है।
इससे पहले कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में 33, दूसरी सूची में 43 और तीसरी सूची में 19 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी। इस तरह से कांग्रेस राजस्थान विधानसभा की कुल 200 सीटों में से 4 सूचियों में 151 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर पाई।
कांग्रेस उम्मीदवारों की इस चौथी सूची में भी राज्य के तीन मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ का नाम नहीं थे।
जिन सात विधायकों का टिकट कट गया है उसमें बसेड़ी से खिलाड़ीलाल बैरवा, कठूमर से बाबूलाल बैरवा, तिजारा से संदीप यादव, बिलाड़ा से हीरालाल मेघवाल, सांगोद से भरत सिंह, हिण्डौन से भरोसीलाल जाटव, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ से जौहरीलाल मीणा का नाम शामिल है।
वहीं 10 कांग्रेस विधायकों को इस सूची में जगह मिली है। जिन निवर्तमान विधायकों को टिकट मिला है उसमें नदबई से जोगेंद्र सिंह अवाना, शिव (बाड़मेड़) से अमीन खान श्रीमाधोपुर से दीपेंद्र सिंह शेखावत, बयाना से अमर सिंह जाटव, धरियावद से नगराज मीणा, बेगूं से राजेंद्र सिंह बिधूड़ी, बामनवास से इंदिरा मीणा, निवाई से प्रशांत बैरवा, अलवर के किशनगढबास से दीपचंद खैरिया, चौहटन से पदमाराम मेघवाल का नाम शामिल है।
देर रात पांचवी सूची भी जारी कर दी गई
राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने मंगलवार रात करीब 10.51 बजे सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पांचवी सूची भी जारी कर दी है। इसमें पांच उम्मीदवारों के नाम हैं। इससे पहले रात करीब 8 बजे कांग्रेस ने अपनी चौथी सूची एक्स पर जारी की थी। इस तरह से पार्टी ने करीब तीन घंटे में ही अपनी नई सूची जारी कर दी है। इस तरह से पार्टी ने मंगलवार को कुल 61 प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। पांचवी सूची में पार्टी ने जयपुर की फुलेरा सीट से विद्याधर चौधरी को, जैसलमेर सीट से रूपाराम धनदेव, जैसलमेर की पोकरण सीट से सालेह मोहम्मद, भीलवाड़ा की आसींद सीट से हंगामीलाल मेवाड़ा और भीलवाड़ा की जहाजपुर सीट धीरज गुर्जर को टिकट दिया है।
इस सूची में शामिल पांच में से चार उम्मीदवारों को कांग्रेस ने 2018 में भी टिकट दिया था। इस सूची में सिर्फ हंगामीलाल मेवड़ा हैं जिन्हें 2018 में टिकट नहीं दिया गया था। तब कांग्रेस ने इस सीट पर मनीष मेवाड़ा को टिकट दिया था।
करीब तीन घंटे में ही एक और सूची जारी करने पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि पार्टी की चौथी सूची में ही इन पांच नामों को जगह क्यों नहीं दी गई कि इनके लिए अलग से सूची निकालनी पड़ी।
इसके पीछे राजस्थान की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी एक-एक सीट पर काफी सोच विचार कर टिकट दे रही है। इन दिनों इसको लेकर कई स्तरों पर लगातार विचार-विमर्श चल रहा है। कई तरह के समीकरणों को ध्यान में रखा जा रहा है। इसके कारण जैसे-जैसे किसी नाम पर सहमति बन रही है उसके नाम की घोषणा कर दी जा रही है।
हमारे सूत्रों का कहना है कि इन पांच सीटों पर चौथी लिस्ट जारी करते समय तक सहमति नहीं बन पायी थी इसलिए इनके नाम को रोक लिया गया था। जैसे ही इनके नाम पर मोहर लग गई पार्टी ने फिर देर करना उचित नहीं समझा और तीन घंटे में ही नई सूची जारी कर दी गई।
अभी भी 44 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा शेष
अब तक कुल पांच सूचियों के जरिये कांग्रेस पार्टी ने कुल 156 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं। इस तरह से पार्टी ने अब भी 44 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। यह स्थिति तब है जब राज्य में चुनाव के लिए प्रत्याशियों का नामांकन प्रारंभ हो चुका है।
राज्य में अब चुनाव में एक माह से भी कम समय बचा है। यहां 25 नवंबर को मतदान होने हैं। वहीं 3 दिसंबर को मतगणना होगी।
इसके बावजूद कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने में काफी देर कर दी है। इसके कारण मतदाताओं, कार्यकर्ताओं और संबंधित सीट पर चुनाव की तैयारी कर रहे नेताओं में काफी कंफ्यूजन है।
उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होने में देरी होने से चुनाव प्रचार तेज नहीं हो पा रहा है। जहां अब तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं हुई है वहां सीट के दावेदार खुद ही कंफर्म नहीं हैं कि वे चुनाव लड़ पायेंगे कि नहीं।
माना जा रहा है कि विभिन्न समीकरणों को ध्यान में रखने, आपसी गुटबाजी और पार्टियों में केंद्रीय नेतृत्व मजबूत होने के कारण राजस्थान में सीटों की घोषणा में देरी हुई है।
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