एनडीटीवी के मुताबिक कुकी समाज के नागरिक संगठनों ने बयानों में आरोप लगाया कि पुलिस कमांडो ने कथित तौर पर अंधाधुंध बल प्रयोग किया तो कुकी गांव के कार्यकर्ताओं ने जवाबी गोलीबारी की थी। कुकी समूहों ने आरोप लगाया कि मणिपुर सरकार नागरिकों को परेशान करने के लिए मोरेह इलाके में पुलिस बलों को भेज रही है। कुकी संगठनों ने केंद्र से सीमावर्ती शहर से पुलिस को हटाने की मांग की है।
हालाँकि, मोरेह से एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एनडीटीवी को फोन पर बताया कि कुछ समूह अक्सर विद्रोही हमलों की आड़ में "ग्राम कार्यकर्ताओं" का दावा करते हैं। यह निश्चित रूप से जानने का कोई तरीका नहीं है कि ये "ग्राम कार्यकर्ता" हैं और कोई हमला नहीं करेंगे। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि "जमीनी स्थिति को पहले देखा जाना चाहिए और सच पता किया जाना चाहिए। कोई भी समूह कुछ भी दावा कर सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह सच है।"
टेंगनौपाल में भारत-म्यांमार सीमा पर मोरेह शहर में, जहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारी चिंगथम आनंद की संदिग्ध विद्रोही स्नाइपर ने गोली मारकर हत्या कर दी। वो एक हेलीपैड के निर्माण की देखरेख कर रहे थे। सूत्रों ने बताया कि संदिग्ध विद्रोही स्नाइपर को मार गिराने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया और मणिपुर पुलिस ने मोरेह में कमांडो बलों को भेजा।
यह जगह राजधानी इंफाल से लगभग 115 किमी दूर है। सूत्रों ने कहा कि इंफाल-मोरेह मार्ग में कई पहाड़ियां, जंगल हैं, जो विद्रोहियों द्वारा घात लगाकर किए जाने वाले हमले के खतरे को काफी बढ़ा देते हैं।
बुधवार सुबह हेलिपैड प्रोजेक्ट पर हमले और उसके बाद घात लगाकर किए गए हमले से हालात फिर खराब हो गए हैं। मणिपुर में कई महीनों से मैतेई और कुकी समुदायों में जातीय संघर्ष चल रहा है। इधर, हालात सामान्य हो रहे थे लेकिन बुधवार की घटना ने हालात फिर खराब कर दिए हैं।
मणिपुर पुलिस कमांडो का एक छोटा दस्ता 3 मई की हिंसा के बाद से मोरेह में तैनात है। यहां पर हेलीपैड इसलिए बनाया जा रहा था ताकि सुरक्षा बलों को समय पर लाने का काम तेज हो सके। इस हेलीपैड को राज्य सरकार और बीएसएफ मिलकर बना रहे थे। दो अन्य हेलीपैड असम राइफल्स के पास हैं, जिसका निर्माण उन्होंने किया है।
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