लंबे इंतजार के बाद राजस्थान में भजनलाल सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार शनिवार को हुआ है। शपथग्रहण समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने 22 मंत्रियों को शपथ दिलाई है। इनमें 12 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), 5 राज्य मंत्री हैं।
इस मंत्रिमंडल विस्तार की खास बात यह रही कि इससे चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी को भी मंत्री बनाया गया है। भाजपा ने जिस सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाया है वह श्रीकरण सीट से प्रत्याशी हैं। यह राजस्थान में पहली बार हुआ है कि चल रहे चुनाव के बीच प्रत्याशी को मंत्री बना दिया गया है।
इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव कैंसिल हो गया था। अब यहां 5 जनवरी को मतदान है। नियमों के मुताबिक बिना विधायक बने कोई भी भारतीय नागरिक छह महीने तक मंत्री रह सकता है।
भजनलाल मंत्रिमंडल में सांसद पद छोड़कर विधायक बने किरोड़ीलाल मीणा और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और दो डिप्टी सीएम को मिलाकर राजस्थान सरकार के मंत्रियों की कुल संख्या 25 हो गई है।
अब भी 5 मंत्री बनाए जा सकते हैं
राजस्थान में कोटे के हिसाब से कुल 30 मंत्री बन सकते हैं, 25 मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद अब भी 5 मंत्रियों की जगह खाली है।जिन्हें मंत्री बनाया गया है उसमें किरोड़ीलाल मीणा विपक्ष में रहते सबसे मुखर रहे हैं। वह प्रमुख आदिवासी चेहरा है।
राज्यसभा सांसद रहते हुए वह राजस्थान में कांग्रेस राज के दौरान सबसे मुखर रहे। समय-समय पर कांग्रेस सरकार की खामियों को उठाते रहे हैं। संघ से जुड़े रहे हैं, इमरजेंसी के दौरान वह जेल भी जा चुके हैं। उन्हें मंत्री बना कर भाजपा ने पूर्वी राजस्थान के सियासी समीकरण साधे गए हैं।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ कैबिनेट मंत्री रहे हैं। दो बार सांसद रह चुके हैं। पहली बार विधायक बने राठौड़ को कैबिनेट मंत्री बनाकर भाजपा ने पार्टी के भीतर राजपूत समाज के नेता को उभरने का मौका दिया है। राजपूत समाज से जुड़े समीकरणों को ध्यान में रखकर उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई है।
इस कैबिनेट में गजेंद्र सिंह खींवसर को मंत्री बना कर वसुंधरा राजे खेमे को खुश करने की कोशिश की गई है। वह वसुंधरा राजे की दोनों सरकारों में मंत्री रहे हैं। गजेंद्र खींवसर को वसुंधरा राजे का नजदीकी माना जाता है। मारवाड़ के सियासी समीकरणों को साधने के लिए उन्हें मंत्री बनाया गया है।
बाबूलाल खराड़ी को मंत्री बनाकर भाजपा ने आदिवासी समाज को संदेश दिया है कि वह उनके जैसे आम आदमी को भी महत्वपूर्ण पद दे सकती है। खराड़ी झाड़ोल से विधायक हैं। वह अब भी कच्चे घरों में रहते हैं।
मंत्रिमंडल में शामिल मदन दिलावर भाजपा के मुखर दलित हिंदुवादी चेहरा है। वह आरएसएस की पसंद बताएं जाते हैं। वह बेबाक और उग्र रूप से बोलने के लिए जाने जाते हैं। वह भैरासिंह शेखावत सरकार और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
कुल 22 में से 16 पहली बार मंत्री बने
राजस्थान की भजनलाल सरकार के मंत्रीमंडल में शामिल होने वाले कुल 22 मंत्रियों में से 16 मंत्री पहली बार इस पद पर पहुंचे हैं।
वहीं कुल 12 कैबिनेट मंत्री में से 9 पहली बार इस पद पर पहुंचे हैं।ये राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जोगाराम पटेल, बाबूलाल खराड़ी, सुरेश सिंह रावत, अविनाश गहलोत, जोराराम कुमावत, हेमंत मीणा, कन्हैयालाल चौधरी, सुमित गोदारा शामिल हैं।
पांच राज्य मंत्री बने हैं जबकि पांच स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री बनाए गए हैं। अगर सीएम और दोनों डिप्टी सीएम को भी मिला लिया जाए तो 25 में से 20 पहली बार के मंत्री हैं।
भजनलाल सरकार में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ब्राह्मण चेहरा है। उनके साथ ही ब्राह्मण समाज से राज्य मंत्री संजय शर्मा मंत्री बनाए गए हैं।
इस मंत्रिमंडल में राजपूत समाज से डिप्टी सीएम दिया कुमारी, मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, और राज्यवर्धन सिंह राठौर शामिल हैं।
भजनलाल मंत्रिमंडल में सबसे अधिक जाट समाज से हैं। इस समाज से कन्हैयालाल चौधरी, सुमित गोदारा, झाबर सिंह खर्रा, विजय सिंह चौधरी शामिल हैं।
जाट सिख समाज से सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। आदिवासी समाज से किरोड़ीलाल मीणा, बाबूलाल खराड़ी, हेमंत मीणा जबकि दलित समाज से डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा, मंत्री मदन दिलावर, मंजू बाघमार शामिल किए गए हैं। मंत्रिमंडल में विभिन्न जाति समीकरणों को ध्यान में रखा गया है।
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