सतलुज के उत्तरी किनारे से हरियाणा की सीमा तक लगता हुआ इलाका मालवा कहलाता है। यहाँ से 8 सीटें- लुधियाना, फ़िरोज़पुर, फरीदकोट, बठिंडा, संगरूर, पटियाला, श्री फतेहगढ़ साहेब व आनंदपुर साहेब हैं। मालवा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता मिली थी। अकाली दल का भी यहाँ मजबूत आधार रहा है। इस क्षेत्र को किसान आंदोलन का बड़ा गढ़ भी माना जाता है। मालवा में चार कोणीय मुकाबला लगभग हर सीट पर है। पंजाब में अकाली दल क्षेत्रीय पार्टी के रूप में मज़बूत रही है और इसने अबकी बार भाजपा से गठबंधन नहीं किया। दोनों अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं।
पंजाब: मालवा में क्या ध्रुवीकरण की राजनीति चल पाएगी?
- पंजाब
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- 28 May, 2024

पंजाब में सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव सातवें और आख़िरी चरण में एक जून को एक साथ होंगे। पिछली कड़ियों में आपने माझा और दोआबा क्षेत्र की सीटों का विश्लेषण पढ़ा। अब आख़िरी कड़ी में मालवा के हालात जानिए।
फिरोजपुर की सीट पर पिछली बार अकाली दल से सुखबीर सिंह बादल चुनाव जीते थे लेकिन अबकी बार वो चुनाव ही नहीं लड़ रहे। फिरोजपुर परंपरागत रूप से अकाली दल की मजबूत सीट मानी जाती है। शेर सिंह गुभाया 2009, 2014 में यहाँ से अकाली दल से सांसद रहे लेकिन 2019 में सुखबीर सिंह बादल के प्रत्यशी बनने के कारण अकाली दल छोड़ कांग्रेस पार्टी में चले गए और कांग्रेस के टिकट पर सुखबीर बादल के विरुद्ध चुनाव लड़े परन्तु हार गए थे। वह अबकी बार कांग्रेस पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अकाली दल ने यहाँ से नरदेव सिंह बॉबी मान को प्रत्याशी बनाया है। आम आदमी पार्टी से जगदीप सिंह काका बराड़ उमीदवार हैं। कांग्रेस पार्टी से भाजपा में आये राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी यहाँ से मैदान में हैं। 4 बार कांग्रेस के विधायक रहे पूर्व खेल मंत्री, कैप्टन अमरेंदर सिंह के काफी करीबी और विश्वसनीय रहे लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी से किनारा कर भाजपा में शामिल हो गए थे। यहाँ एक और अकाली दल की साख दांव पर है तो कांग्रेस को चुनौती शेर सिंह गुभाया की जीत की है।