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कोरोना महामारी के बुरे दौर में भी अमरिंदर से सियासी जंग लड़ते सिद्धू!

ऐसे वक्त में जब देश में कोरोना महामारी ने आफत मचाई हुई है, देश का कोई राज्य, कोई कोना इस जानलेवा बीमारी से अछूता नहीं है, पूर्व क्रिकेट नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ जंग छेड़ी हुई है। सिद्धू इस सियासी जंग को लड़ने के पीछे जो भी कारण बता रहे हों लेकिन कम से कम इस वक़्त में किसी आम या खास शख़्स से उम्मीद की जाती है कि वह राजनीति छोड़कर इस महामारी से लड़ने के लिए किसी को भी मदद देने के लिए उठ खड़ा होगा। 

लेकिन सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ सियासी जंग छेड़कर इस तरह की किसी उम्मीद को बेईमानी साबित कर दिया है। यह कहा जा सकता है कि कोरोना संक्रमण से जूझ रहे पंजाब के लिए सिद्धू को इस वक़्त मदद का हाथ आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि यह सियासी लड़ाई लड़ने का नहीं जिंदगियों को बचाने का वक़्त है। 

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बहुत मनाया सिद्धू को 

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद अमरिंदर सिंह की कैबिनेट से इस्तीफ़ा देने वाले सिद्धू को मनाने की लाख कोशिशें कांग्रेस आलाकमान ने की। हरीश रावत जैसे अनुभवी नेता जब पंजाब के प्रभारी बने तो वह कई बार सिद्धू के घर गए, खाना खाया और उन्हें शांत करने की कोशिश की।

कुछ वक़्त तक सिद्धू शांत भी रहे और इस साल मार्च के महीने में जब वे कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलने पहुंचे तो लगा कि सब ठीक हो गया है और वह जल्द ही फिर से पंजाब सरकार में शामिल होंगे। उससे पहले इस पूर्व क्रिकेटर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी दिल्ली आकर मुलाक़ात की थी। 

लेकिन बीते कुछ दिनों से सिद्धू ने फिर से कैप्टन अमरिंदर को घेरना शुरू किया है और इसका कारण बना 2015 में बरगाड़ी बेअदबी मामले से संबंधित कोटकपुरा गोलीकांड में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा एसआईटी की रिपोर्ट रद्द करने के बाद नई एसआईटी को गठित करना। 

Navjot Sidhu amarinder singh fight in punjab congress  - Satya Hindi

सिद्धू का ट्वीट

सिद्धू ने कुछ दिन पहले ट्वीट कर साफ कहा है कि पंजाब के गृह मंत्री की अक्षमता के कारण राज्य सरकार हाई कोर्ट का आदेश मानने को मजबूर है। सिद्धू ने कहा, “नई एसआईटी को छह महीने का वक़्त देने से पंजाब में जनता से चुनाव से पहले किया वादा पूरा नहीं हो सकेगा और ऐसा जान बूझकर किया जा रहा है।” सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर का वह वीडियो भी शेयर किया जिसमें वह 2017 के चुनाव से पहले वादा कर रहे हैं कि वह सत्ता में आने पर इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे। 

कैप्टन का नाम लिए बिना सिद्धू ने कहा कि कौन उन्हें गुरू की अदालत में बचाएगा और उनकी यही मांग है कि गुरू साहिब को न्याय मिले और वह इस मांग को उठाते रहेंगे।

क्या है कोटकपुरा गोलीकांड?

अक्टूबर, 2015 में फरीदकोट जिले के गांव बरगाड़ी के गुरुद्वारा साहिब के बाहर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला सामने आया था। इस घटना के बाद सिख समाज ने पंजाब में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था। साथ ही विदेशों में रहने वाले सिखों ने भी इस घटना को लेकर रोष का इजहार किया था। 

घटना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे सिखों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। धरने के दौरान पुलिस की गोलीबारी में कोटकपुरा में दो लोगों की मौत हो गई थी और इसके बाद यह मामला बेहद तूल पकड़ गया था। 

अकाली दल की हार 

2017 के विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बना था और इस घटना को लेकर सिख समुदाय तब की शिरोमणि अकाली दल सरकार से ख़ासा नाराज़ था। 2017 में अकाली दल की सत्ता से विदाई हो गई थी और इसके पीछे कारण इसी घटना को माना गया था। अमरिंदर सिंह ने 2017 के चुनाव में वादा किया था कि वह इस मामले में उचित कार्रवाई करेंगे। 

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सिद्धू के ख़िलाफ़ हो कार्रवाई 

अब पंजाब सरकार के सात मंत्री खुलकर अमरिंदर सिंह के समर्थन में आगे आ गए हैं और सिद्धू के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है। कांग्रेस सरकार में मंत्री बलबीर सिद्धू, विजय इंदर सिंगला, भारत भूषण आशु और गुरप्रीत सिंह कंगर ने कहा कि सिद्धू की आम आदमी पार्टी और बीजेपी से मिलीभगत है और वह कांग्रेस को नुक़सान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि सिद्धू को पार्टी से निलंबित कर दिया जाना चाहिए। इससे पहले तीन और मंत्रियों ने सिद्धू पर हमला बोला था।

सिद्धू ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि कैप्टन को पार्टी के नेताओं के कंधे पर बंदूक रखकर फ़ायरिंग बंद करनी चाहिए। 

Navjot Sidhu amarinder singh fight in punjab congress  - Satya Hindi

सिद्धू के साथ आए बाजवा 

दूसरी ओर, सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ी तो कैप्टन के सियासी विरोधी भी सिद्धू के साथ खड़े हो गए। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने ‘पंजाब तक’ से बातचीत में कहा है कि पंजाब में सरकार कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बनाई जबकि यहां तीन अफ़सर राज कर रहे हैं और इन अफ़सरों का पंजाब से कोई लेना-देना नहीं है। बाजवा की भी मांग है कि बरगाड़ी कांड में न्याय होना चाहिए। 

सिद्धू के साथ परेशानी यह है कि वह एक जगह टिकने के लिए तैयार नहीं हैं। जब वह बीजेपी में थे तो मनमोहन सिंह और राहुल गांधी पर जिन शायरियों का सहारा लेकर हमला बोलते थे, कांग्रेस में आने के बाद मोदी-बीजेपी के ख़िलाफ़ उन्हीं शायरियों का इस्तेमाल करने लगे।

पीसीसी अध्यक्ष पद पर नजर

सिद्धू की इच्छा पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है। उनके पक्ष में पॉजिटिव बात यह है कि उनका हिंदू और सिख, दोनों समुदायों के मतदाताओं में आधार है। वह बहुत अच्छी हिंदी बोलते हैं और पंजाब के बाहर भी पहचान रखते हैं। सिद्धू को कांग्रेस अमरिंदर सरकार में मंत्री बनाने के लिए तैयार थी लेकिन सिद्धू प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनना चाहते हैं। लेकिन अमरिंदर सिंह इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं हैं। क्योंकि सिद्धू बीजेपी से कुछ साल पहले ही कांग्रेस में आए हैं, ऐसे में उन्हें अध्यक्ष बनाने से पुराने नेताओं के नाराज़ होने का ख़तरा है। 

सिद्धू को लेकर कई चर्चाएं ये भी चलीं कि वह आम आदमी पार्टी में जा सकते हैं, अपना कोई राजनीतिक दल बना सकते हैं या फिर से बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। लेकिन वह क्या करेंगे, शायद ये बात वह ख़ुद भी नहीं जानते।

बूढ़े शेर हैं अमरिंदर 

कैप्टन अमरिंदर सिंह की उम्र 79 साल हो चुकी है। कुछ महीने पहले हुए नगर निगम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद अमरिंदर सिंह ने आलाकमान को भरोसा दिलाया है कि वह कांग्रेस की सत्ता में वापसी करा सकते हैं। लेकिन अमरिंदर के लिए सिद्धू, बाजवा, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और दलित नेता शमशेर सिंह दूलों के गुट से निपटना आसान नहीं होगा। 

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पवन उप्रेती
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