कोरोना का ख़ौफ़ एक बार फिर डरा रहा है। पिछले साल जब कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू हुए थे तो मीडिया के एक वर्ग द्वारा इसके लिए दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम को जिम्मेदार ठहराया गया था। तब्लीग़ी जमात के इस कार्यक्रम में दुनिया के कई देशों से लोग शामिल हुए थे और लॉकडाउन के अचानक एलान के कारण वे मरकज़ में ही फंस गए थे। इसके बाद पुलिस ने 2361 लोगों को वहां से निकाला था और यहां से निकले लोगों और उनके संपर्क में आए 25,500 लोगों को क्वारेंटीन किया गया था।
मरकज़ के कार्यक्रम में क़रीब 9000 लोगों ने शिरकत की थी और इसमें देश-विदेश से आए लोग शामिल हुए थे। लेकिन कुंभ मेले में 12 से 14 अप्रैल के बीच लाखों लोग डुबकी लगा चुके हैं।
हरिद्वार जिले में जहां कुंभ मेला 2021 का आयोजन किया जा रहा है, वहां बीते दो दिनों में 1000 से ज़्यादा पॉजिटिव मामले सामने आए हैं और आने वाले दिनों में इन मामलों की संख्या बढ़ने से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन मीडिया के जिस वर्ग ने पिछली बार तब्लीग़ी जमात को लेकर शोर मचाया था, वही इस बार चुप दिख रहा है। हालांकि इस चुप्पी पर सवाल खड़े होने के बाद कुछ चैनलों ने महामारी के बीच चल रहे कुंभ मेले को रिपोर्ट करना शुरू किया है। लेकिन यहां सवाल दोहरे रवैये को लेकर उठता है।
पिछले साल तब्लीग़ी जमात को लेकर मीडिया चैनलों द्वारा चलाए गए अभियान के अलावा बीजेपी नेताओं ने भी नफरती ट्वीट किए थे। हरियाणा बीजेपी की नेता और मशहूर पहलवान बबीता फोगाट ने ट्वीट किया था-
कोरोना वायरस भारत की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी समस्या है।
— Babita Phogat (@BabitaPhogat) April 15, 2020
जाहिल जमाती अभी भी पहले नंबर पर बना हुआ है।#jahiljamati
66 positive ...this #TablighiJamaat has single handedly damaged India as none other ..should never ever ..NEVER EVER be pardoned !! https://t.co/8rqPAbqigK
— Sambit Patra (@sambitswaraj) April 8, 2020
#तब्लीगी_जमात_पर_गर्व_है
— Syed Kafeel Ahmad (@SyedKafeelAhma3) April 27, 2020
Tableeghi members who defeated corona Waiting to donate plasma....👌💓
This new pic came out from Delhi pic.twitter.com/HSU95qQpnL
अदालतों के फैसले
इसके बाद तमाम अदालतों की ओर से तब्लीग़ी जमात से जुड़े लोगों पर कई फ़ैसले दिए गए थे। बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने अगस्त, 2020 में कहा था कि तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए विदेश से आए लोगों को बलि का बकरा बनाया गया। अदालत ने इसे लेकर मीडिया के द्वारा किए गए प्रोपेगेंडा की भी आलोचना की थी और विदेश से आए जमातियों पर दर्ज एफ़आईआर को भी रद्द कर दिया था।
इस मामले में घाना, तंजानिया, इंडोनेशिया, बेनिन और कुछ और देशों के तब्लीग़ी जमात से जुड़े लोगों ने कहा था कि वे वैध वीजा पर भारत आए थे लेकिन जब वे एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उनकी स्क्रीनिंग की गई, कोरोना टेस्ट किया गया और नेगेटिव आने पर ही उन्हें एयरपोर्ट से जाने दिया गया।
आरोपों से किया था बरी
दिसंबर, 2020 में दिल्ली की एक अदालत ने कोरोना फैलाने के आरोपों का सामना कर रहे तब्लीग़ी जमात के सभी 36 विदेशियों को आरोपों से बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि आरोप लगाने वालों ने कोई सबूत पेश नहीं किया और गवाहों के बयानों में अंतर्विरोध हैं। अदालत ने कहा था कि थानाधिकारी शुरुआत से ही मरकज़ में मौजूद लोगों की वास्तविक संख्या जानते थे फिर भी वे समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करने में विफल रहे और वह भी तब जब लोगों के इकट्ठे होने को लेकर सरकार की ओर से गाइडलाइंस जारी की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
नवंबर, 2020 में तब्लीग़ी जमात से जुड़ी मीडिया रिपोर्टिंग पर केंद्र सरकार के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे फटकार लगाई थी। अदालत ने सरकार की ओर से दायर हलफ़नामे पर सवाल उठाया था और टीवी चैनलों की ख़बरों के नियमन के लिए कुछ क़दम उठाने की बात कही थी। तब्लीग़ी जमात की ओर से कुछ टीवी चैनलों और अखबारों में चली ख़बरों पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी।
अदालत ने सरकार से कहा था, “हम जानना चाहते हैं कि टीवी पर इस तरह की सामग्री से निपटने के मामले में क्या प्रक्रिया है। यदि कोई नियामक प्रक्रिया नहीं है, तो आप उसे तैयार करें। यह काम एनबीएसए के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।'
मद्रास हाई कोर्ट का फ़ैसला
मद्रास हाई कोर्ट ने जून, 2020 में दिए गए एक फ़ैसले में में 31 विदेशी नागरिकों के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्यवाही बंद करने का निर्देश दिया था। इन लोगों पर वीज़ा शर्तों का उल्लंघन कर तब्लीग़ी जमात की बैठक में भाग लेने के आरोप में फॉरेनर्स एक्ट के तहत कार्रवाई हो रही थी।
अदालत ने कहा था, ‘चूंकि याचिकाकर्ताओं ने क़ानून का उल्लंघन करने के कारण पहले ही पर्याप्त रूप से कष्ट उठा लिया है और चिकित्सा आपातकाल की स्थिति है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को जल्द से जल्द अपने मूल देशों को लौटने का अधिकार है।’ अदालत ने कहा था कि वे लोग अपराधी नहीं हैं।
मोदी, संघ आए थे बीच में
इस मामले के बहुत ज़्यादा बढ़ने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दखल दिया था। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि कोई समूह कुछ करे तो इसके लिए पूरे समुदाय को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि कोरोना से लड़ाई में सब अपने हैं और हम मनुष्यों में भेद नहीं करते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कोरोना वायरस किसी को शिकार बनाने से पहले उसका धर्म, जाति, रंग आदि नहीं देखता है और हमें इस वायरस से मिलकर लड़ना है।
अपनी राय बतायें