केंद्र सरकार ने शिरोमणि अकाली दल के बड़े नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के ख़िलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया है। मंगलवार को ही चन्नी सरकार ने ड्रग्स मामले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर मजीठिया के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र व पंजाब सरकार की इस कार्रवाई से मजीठिया बुरी तरह घिर गए हैं।
केंद्र ने यह लुकआउट सर्कुलर पंजाब पुलिस के अनुरोध पर जारी किया है। लुकआउट सर्कुलर होने का मतलब है कि बिक्रम सिंह मजीठिया अब देश छोड़कर नहीं जा सकेंगे।
पंजाब में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर है। अकाली दल पंजाब की सत्ता में वासपी की लड़ाई लड़ रहा है। प्रकाश सिंह बादल अब बुजुर्ग हो चुके हैं और ऐसे में चुनाव की कमान सुखबीर सिंह बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया के ही हाथों में है।
लेकिन बिक्रम सिंह मजीठिया पर कार्रवाई के बाद यह साफ दिखता है कि अकाली दल घिर गया है।
बदले की कार्रवाई बताया
अकाली दल भी इस मामले में हमलावर हो गया है। ख़ुद प्रकाश सिंह बादल सामने आए और उन्होंने इसे बदले की कार्रवाई बताया। अकाली दल को पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ मिला है। कैप्टन ने भी इसे बदले की कार्रवाई बताया है।
जबकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस पर ख़ुशी जाहिर की है और कहा कि वे पिछले पांच साल से इस लड़ाई को लड़ रहे थे।
निशाने पर रहे मजीठिया
पंजाब की सियासत में ड्रग्स एक बड़ा मुद्दा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस ने ड्रग्स की बिक्री को लेकर बिक्रम सिंह मजीठिया पर जमकर हमले किए, लेकिन सत्ता में आने के बाद भी उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर तक दर्ज न होने के कारण कांग्रेस की अंदरूनी सियासत गर्म रही।
लेकिन अब केंद्र व राज्य सरकार के क़दम के बाद अकाली नेता मुश्किल में घिरते दिख रहे हैं।
ताक़तवर नेता हैं मजीठिया
मजीठिया पंजाब की सियासत के ताक़तवर नेता हैं। वह सुखबीर बादल के साले और सांसद हरसिमरत कौर के भाई भी हैं। अकाली दल की सरकारों के दौरान मजीठिया की तूती बोलती थी।
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