केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन को साढ़े आठ महीने पूरे हो चुके हैं। यह आंदोलन न सिर्फ़ मोदी सरकार के कार्यकाल का बल्कि आज़ाद भारत का ऐसा सबसे बड़ा आंदोलन है जो इतने लंबे समय से जारी है। किसान तीनों क़ानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सर्दी, गरमी और बरसात झेलते हुए दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हैं। इस दौरान आंदोलन में कई उतार-चढ़ाव आए। आंदोलन के रूप और तेवर में भी बदलाव आते गए लेकिन यह आंदोलन आज भी जारी है।

तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन आज़ाद भारत का ऐसा सबसे बड़ा आंदोलन है जो इतने लंबे समय से जारी है। सरकार का उपेक्षापूर्ण रवैया तो है ही, लेकिन सर्वोच्च अदालत ने भी आश्चर्यजनक चुप्पी साध रखी है।
हालाँकि कोरोना वायरस के संक्रमण, गरमी की मार और खेती संबंधी ज़रूरी कामों में छोटे किसानों की व्यस्तता ने आंदोलन की धार को थोड़ा कमजोर किया है, लेकिन इस सबके बावजूद किसानों का हौसला अभी टूटा नहीं है। चूँकि कृषि क़ानूनों को सरकार ने अपनी नाक का सवाल बना रखा है, इसलिए उसने तो किसानों के आंदोलन के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपना ही रखा है, मगर इस मामले में सात महीने पहले हस्तक्षेप करने वाली देश की सर्वोच्च अदालत ने भी आश्चर्यजनक चुप्पी साध रखी है।