27 सितंबर को दिल्ली के बसंतकुंज स्थित रंगपुरी कॉलोनी के दो कमरे के फ़्लैट से पुलिस को एक कमरे में 46 साल के हीरालाल शर्मा और दूसरे कमरे में उनकी 26 साल की बेटी नीतू, 24 साल की निक्की, 23 साल की नीरू, और 20 साल की निधि की लाश मिली। घर में राशन नहीं के बराबर था, सल्फास के तीन ख़ाली पैकेट अलबत्ता पड़े थे। ‘इंडियन स्पाइरल इंजरीज़ सेंटर’ में काम करने वाले हीरालाल की नौकरी छूट गयी थी। बैंक खाते में बचे मात्र दो सौ रुपये हीरालाल की आर्थिक तंगी की गवाही दे रहे थे। हीरालाल की पत्नी का कैंसर से पिछले साल निधन हो गया था।
हिंदुओं के ‘वास्तविक जागरण’ के भय से भयभीत भागवत?
- विचार
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- 18 Oct, 2024

मोहन भागवत ने बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं का उदाहरण देकर एकजुट होने का आह्वान किया है। लेकिन भारत के अल्पसंख्यकों की एकजुटता आरएसएस को डराती है।
हीरालाल शर्मा बेहद धार्मिक प्रकृति के व्यक्ति थे। हर मंगलवार हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते थे। चुपचाप अपने काम से काम करने वाले व्यक्ति थे लेकिन आर्थिक दुश्चक्र में फँसकर हताश हो गये। ‘मुक्ति' के लिए सामूहिक आत्महत्या का फ़ैसला पूरे परिवार का था या फिर हीरालाल ने अपनी बेटियों को ज़हर खिलाने के बाद जान दी, इसकी जानकारी अब शायद ही हो पाये। लेकिन यह हालात के सामने ‘दुर्बल' पड़ चुके एक धर्मभीरु हिंदू की कथा ज़रूर है जिसके ‘जागृत’ और ‘एकजुट’ होने का मंत्र-जाप दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू संगठन होने का दावा करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस रात-दिन करता रहता है। हीरालाल के परिवार की सामूहिक आत्महत्या पर दिल्ली के झंडेवालान में बारह मंज़िला तीन टावर वाले नवनिर्मित आलीशान आरएसएस मुख्यालय में कोई हलचल न होनी थी न हुई।