सोमवार 14 अक्टूबर की शाम एक न्यूज़ चैनल की महिला एंकर यूपी के बहराइच में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बहाने चर्चा में शामिल बीजेपी प्रवक्ता और और ‘आरएसएस के बुद्धिजीवी’ को ‘इस्लामोफ़ोबिया’ फैलाने का भरपूर मौक़ा देने में जुटी थी। उसने अपनी बात को और प्रामाणिक बताते हुए महाराजगंज क़स्बे में हुई झड़प के पहले का वीडियो दिखाने का ऐलान किया। वीडियो में दिखा कि प्रतिमा विसर्जन का जुलूस एक जगह रुका है और डीजे पर ज़ोर-ज़ोर से गाना बज रहा था- ‘चाहे जितना ज़ोर लगा लो…चाहे जितना शोर मचा लो…जीतेगी बीजेपी, यूपी में तो जीत के आयेंगे फिर योगी जी…!”
बहराइच की हिंसा में अट्टहास करता सत्ता का गुजरात मॉडल!
- विचार
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- 29 Mar, 2025

लोकसभा चुनाव में बहुमत पाने में नाकाम रहने और यूपी में तगड़ा झटका खाने के बाद बीजेपी और आरएसएस समाज को सांप्रदायिक विद्वेष में झोंककर सत्ता पर ढीली हुई पकड़ को फिर से मज़बूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
ज़ाहिर है एंकर झेंप गयी। दुर्गा पूजा से जुड़े किसी शास्त्र में ऐसा श्लोक या भजन नहीं है जिसमें बीजेपी की जीत की कामना की गयी हो। स्पष्ट हुआ कि महाराजगंज में प्रतिमा विसर्जन के बहाने बीजेपी और आरएसएस के लोग सीधे अपना शक्ति-प्रदर्शन कर रहे थे और राजनीतिक विरोधियों को ललकार रहे थे। इसका धर्म के किसी आयाम से कोई लेना-देना नहीं था। यह सीधे-सीधे धर्म और त्योहारों के राजनीतिक इस्तेमाल का मामला था। नतीजे में एक नौजवान को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, दर्जनों जेल में हैं और बड़ी तादाद में घर और दुकानें यहाँ तक कि अस्पताल तक फूँक डाले गये हैं। बहराइच में जो क्षति हुई वह समाज की, प्रदेश की और देश की है। लेकिन इससे राजनीतिक लाभ की शर्मनाक कोशिश कौन कर रहा है, यह भी साफ़ है।