“कहीं का भी अन्याय हर जगह न्याय के लिए ख़तरा है। हम पारस्परिकता के अपरिहार्य नेटवर्क में फँसे हैं… जो कुछ भी सीधे प्रभावित करता है, वह सभी को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।”
देशप्रेम की कसौटी है मुस्लिमों पर अत्याचार के ख़िलाफ़ खुलकर बोलना!
- विचार
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- 22 Oct, 2024

अगर आप कहीं भी अन्याय को देखकर चुप हैं तो पूरा ख़तरा है कि आपको भी न्याय न मिले जब आप अन्याय के शिकार हों।
यह बर्मिंघम सिटी जेल से लिखे गये मार्टिन लूथर किंग जूनियर के मशहूर पत्र का हिस्सा है। 16 अप्रैल 1963 को लिखा गया यह ‘खुला पत्र’ स्थानीय श्वेत पादरियों द्वारा लिखे गये ‘एकता के आह्वान’ के जवाब में लिखा गया था जिन्होंने किंग जूनियर को ‘बाहरी’ बताते हुए अलबामा राज्य की शांति भंग करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि अश्वेतों को अन्याय के ख़िलाफ़ नागरिक प्रतिवाद आयोजित करने के बजाय अदालतों का रुख़ करना चाहिए और किसी भी स्थिति में धैर्य बनाये रखना चाहिए। लेकिन जेल से ‘खुला पत्र’ जारी करके मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने ‘एकता’ के नाम पर नस्लवादी यथास्थिति बनाये रखने के छद्म को उजागर कर दिया।
14 अप्रैल 1968 को किंग जूनियर की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। लेकिन शहीद किंग जूनियर और उनका बर्मिंघम जेल से लिखा गया पत्र पूरी दुनिया में नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए किसी मशाल की तरह हैं। वे बार-बार हमें सचेत करते हैं कि अगर आप कहीं भी अन्याय को देखकर चुप हैं तो पूरा ख़तरा है कि आपको भी न्याय न मिले जब आप अन्याय के शिकार हों।