हिंदी-भाषी समाज में पढ़ने की आदत में गिरावट के शुरुआती शोर के बीच एक हिंदी उपन्यास ने बिक्री के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिये थे।1993 में छपे 347 पेज के इस उपन्यास के प्रचार के लिए शहरों में होर्डिंगें लगायी गयी थीं। अनुमान है कि बीते तीन दशक में इस उपन्यास की आठ करोड़ प्रतियाँ बिक चुकी हैं। साहित्यकारों की नज़र में ‘लुगदी' श्रेणी के इस उपन्यास के लेखक थे वेदप्रकाश शर्मा और उपन्यास था- वर्दीवाला गुंडा!