आज़ादी के अमृत महोत्सव पर ‘हर घर तिरंगा’ की पहल ऐतिहासिक और अनूठी है। इस मुहिम को शुरू कर नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यह अहसास कराया है कि फ़ैसले करने में वे परंपरागत दक्षिणपंथी सोच से कई बार आगे निकल आते हैं। आरएसएस से जुड़े रहे नरेंद्र मोदी भी जानते हैं कि संघ के प्रांगण में तिरंगा फहराने की मनाही थी और आजादी के 55 साल बाद ही वर्ष 2002 में संघ के नागपुर कार्यालय में तिरंगा फहराया जाना शुरू हुआ।
‘हर घर तिरंगा’ पर मोदी से क्यों रार, जब संघ भी है तैयार?
- विचार
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- 4 Aug, 2022

प्रधानमंत्री मोदी के 'हर घर तिरंगा' अभियान के बाद विपक्ष ने आरएसएस और इसके पदाधिकारियों को क्यों निशाने पर लिया है? जानिए अब तिरंगा के प्रति संघ का रुख कितना बदला है।
वर्ष 2002 इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी साल अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने फ्लैग कोड में संशोधन किया था जिसके तहत हर नागरिक को पूरे सम्मान के साथ राष्ट्रीय तिरंगा फहराने का अधिकार दिया गया। यह अधिकार कांग्रेस नेता और प्रसिद्ध उद्योगपति नवीन जिन्दल के उस संघर्ष का नतीजा था जिसके तहत उन्होंने 7 साल तक व्यक्तिगत रूप से तिरंगा फहराने की लड़ाई लड़ी थी।