नैंसी पेलोसी ने ताइवान पहुंच कर अमेरिका की प्रतिष्ठा बचा ली है अन्यथा चीन ने ऐसा नहीं करने की अंतिम चेतावनी दे रखी थी। व्यक्तिगत तौर पर यह नैंसी पेलोसी की बहादुरी है जो डोनाल्ड ट्रंप के काल में भी स्त्री स्वतंत्रता, नस्लभेद और लोकतंत्र के लिए मुखर आवाज़ रही थीं। जो बाइडेन के लिए भी यह अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में बतौर राष्ट्रपति खुद को मज़बूत दिखाने का अवसर बनकर आया है। अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका की किरकिरी होने के बाद यह पहला मौका है जब अमेरिका ने यह दिखाया है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में उसकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है।
ताइवान पर आमने-सामने चीन-अमेरिका, क्या करे भारत?
- विचार
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- 3 Aug, 2022

अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा ने दुनिया में खलबली मचा दी है। श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन की उपस्थिति से क्या ऐसी खलबली मची थी? ऐसे हालात में भारत को क्या करना चाहिए?
अलकायदा प्रमुख अल जवाहिरी को अफगानिस्तान में मार गिराने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिका की धूमिल हुई प्रतिष्ठा की क्षतिपूर्ति अभी-अभी की है। अब ताइवान पर चीन से सीधे तकरार मोल लेकर अमेरिका ने वर्चस्व की लड़ाई में दक्षिण चीन सागर में मजबूत चुनौती रखने की ठान ली है।