‘बा दिना सबेरे सेइ तेज लूह चल रई थी। जेठ को महीनो, सबेरे आठ बजे सेइ लग रओ कि फुल दोपहरिया है गयी है। राकेस दीक्षित जी ने मेई ड्यूटी पास के जैन मंदिर बारे केम्प में लगाय दयी जामें सबई बागी अपने अस्लाह (हथियार) संग पहुँच रये थे। बिनके काजे महां खाना-पीना और ठंडे पानी वगेरा को इंतज़ाम हतो। जैन मंदिर केम्प में बागीयन को आना बड़े सबेरे से चालू ओ। सबसे पहले लाल सिंह पहुंचो। जे तगड़ा, काला जबर! बाके संग बाके गेंग बारे हते। फिर जनक सिंह पहुंचो। बाके पीछे कामता, फिर हेतसिंह ....एक एक करके 11 गेंग बा केम्प में पहुँच गए। भीड़ बढ़ती जाय रई हती। पेड़ों के नीचे, खुले में, जिधर देखो आदमी ही आदमी। लाख -दो लाख से ज्यास्ती आदमी। जब भी कोई बागी मंच पे आतो, गाँधी जी की फोटू के सामने हथियार धरतो, भीड़ नारा लगती- हर हर महादेव!’