जातिवार जनगणना और आरक्षण को लेकर कांग्रेस, ख़ास तौर पर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी के रवैये में देखी जा रही तेज़ी में राजनीतिक दाँव-पेच खोजने वालों की कमी नहीं है, लेकिन ग़ौर से देखें तो सामाजिक न्याय की अवधारणा कांग्रेस की अब तक की यात्रा का अनिवार्य तत्व रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ी गयी आज़ादी की लड़ाई ने सिर्फ़ राजनीतिक आज़ादी का द्वार नहीं खोला था, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर ग़ैरबराबरी ख़त्म करने की दिशा में एक ऐसी यात्रा शुरू की जिसकी मिसाल भारतीय इतिहास के किसी दौर में नहीं मिलती।
जातिवार जनगणना क्या डॉ. आंबेडकर का सपना था?
- विचार
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- 21 Apr, 2023

देश में फिर से जातिवार जनगणना की मांग ने जोर पकड़ा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नये सिरे से इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की है। जानिए संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर जातिवार जनगणना जैसे विचार पर क्या राय रखते थे।
डॉ. आंबेडकर ने संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में देश को चेताया था कि “26 जनवरी 1950 को हम अंतर्विरोधों से भरे एक जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं। राजनीति में हमारे पास समानता होगी जबकि सामाजिक और आर्थिक जीवन असमानता से भरा होगा। राजनीति में हम ‘एक मनुष्य- एक वोट’ और ‘एक वोट-एक मूल्य’ के सिद्धांत पर चल रहे होंगे लेकिन अपने सामाजिक और राजनीतिक ढाँचे के चलते जीवन में ‘एक मनुष्य-एक मूल्य’ के सिद्धांत का अनुसरण हम नहीं कर पायेंगे। इस हक़ीक़त को अगर हम ज़्यादा समय तक नकारते रहें तो हमारा लोकतंत्र संकट में पड़ जाएगा।”