यूपी का चुनाव इस समय देश का सबसे बड़ा चुनाव है। इसलिए उसे 2024 के राष्ट्रीय चुनाव का सेमीफ़ाइनल भी कहा जा रहा है। कड़ी ठंड और कोविड की 'तीसरी लहर' के डर के बावजूद अब यूपी में चुनावी-गर्मी कुछ तेज़ हो गयी है। इधर कुछ दिनों से राजनीतिक दलों के बीच तरह-तरह के आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर भी चालू हो गया है। इसमें मीडिया, खासकर टीवीपुरम् के कुछ चैनल और कुछ हिन्दी अख़बार भी 'एक पक्ष' बनकर सामने आये हैं। वे खुलेआम 'सत्ताधारी टीम' के लिए 'बल्लेबाजी' और 'गेंदबाजी' करते नज़र आ रहे हैं।इस बीच 'मीडियापुरम् की आवाजें' समाज़ के विभिन्न हिस्सों में भी असर डाल रही हैं। आज सबेरे-सबेरे की सैर के दौरान दो कुलीन दिखते लोगों को कहते सुना कि सरकार चाहे जितना किया या ना किया; वो अपनी जगह है पर मुलायम, अखिलेश या मायावती की तरह ये सरकार जात-पात तो नहीं करती! मुलायम अखिलेश जब आते हैं तो 'यादवों का राज' हो जाता है और मायावती आती है तो चारों तरफ अपनी जाति के लोगों की मूर्तियां लगवा देती हैं। अफसर भी हर जगह दलित ही तैनात हो जाते हैं!