शरद यादव से मेरी पहली मुलाकात अस्सी के दशक के शुरुआती वर्षों में हुई और उनसे मेरी आखिरी मुलाकात पिछले साल तब हुई जब गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती मुलायम सिंह यादव का हाल जानने मैं गया था और शरद जी भी वहीं आए हुए थे। तब ही वह बेहद कमजोर लग रहे थे और ऊंचा सुनने लगे थे। कोविड की बीमारी ने उन्हें काफी अशक्त बना दिया था, लेकिन उनका जज्बा बरकरार था और एक वैकल्पिक रास्ता निकले उनकी इस चाहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा था।
इंदिरा गांधी को सबसे संवेदनशील प्रधानमंत्री मानते थे शरद यादव
- श्रद्धांजलि
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- 13 Jan, 2023

समाजवादी नेता और जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया है। शरद यादव को आख़िर किस तरह के राजनेता के तौर पर याद किया जाएगा? पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री उन्हें कैसे याद करते हैं।
शरद यादव का नाम राष्ट्रीय स्तर पर तब चर्चा में आया जब 1974 में जबलपुर में हुए लोकसभा के उपचुनाव में उन्होंने विपक्ष के साझा उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद दास को चुनाव में हराया। इसके पहले वह जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में देश के छात्र एवं युवा आंदोलन का एक बड़ा और अगुआ चेहरा बन चुके थे। मैंने भी उनका नाम तब सुना था और उनके जुझारुपन व बेबाक भाषण शैली से प्रभावित भी हुआ था। क्योंकि छात्र जीवन में मेरा वैचारिक झुकाव समाजवादी विचारधारा के प्रति था इसलिए शरद यादव हम सबके स्वाभाविक नेता थे।