शरद यादव से मेरी पहली मुलाकात अस्सी के दशक के शुरुआती वर्षों में हुई और उनसे मेरी आखिरी मुलाकात पिछले साल तब हुई जब गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती मुलायम सिंह यादव का हाल जानने मैं गया था और शरद जी भी वहीं आए हुए थे। तब ही वह बेहद कमजोर लग रहे थे और ऊंचा सुनने लगे थे। कोविड की बीमारी ने उन्हें काफी अशक्त बना दिया था, लेकिन उनका जज्बा बरकरार था और एक वैकल्पिक रास्ता निकले उनकी इस चाहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा था।