एक शानदार ज़िंदगी पूरी करके शौकत आपा (1928-2019) इंतक़ाल फरमा गयीं। शौकत आपा ने एक शानदार ज़िंदगी जी। वह बेहतरीन अदाकारा थीं। 1944 से उन्होंने नाटकों में अभिनय का काम शुरू किया था। शौकत आपा के नाम जानी जाने वाली शौकत कैफ़ी ने पृथ्वी थियेटर, इप्टा, थियेटर ग्रुप, त्रिवेणी रंगमंच, और इंडियन नेशनल थियेटर के साथ काम किया। पृथ्वी के नाटकों, शकुंतला, दीवार, पठान, गद्दार, आहुति, कलाकार, पैसा और किसान जैसे अपने समय के प्रसिद्ध नाटकों में उनकी प्रमुख भूमिका रही। इप्टा तो उनके कम्यून का ही संगठन था। उसके नाटकों, धानी बाँकें, भूत गाड़ी, डमरू, अफ़्रीका जवान परेशान, लाल गुलाब की वापसी, इलेक्शन का टिकट, अज़ार का ख्व़ाब, तनहाई, आख़री सवाल, सफ़ेद कुंडली और एंटर ए फ्रीमैन को ख़ास तौर से बताया जा सकता है। उन्होंने कुछ फ़िल्मों में भी काम किया। 1964 में बनी हक़ीक़त शायद उनकी पहली फ़िल्म थी। उसके बाद हीर रांझा, नयना, गर्म हवा उमराव जान और बाज़ार जैसी फ़िल्मों में काम किया।
थियेटर की तरह शानदार ज़िंदगी सँवारना कोई शौकत कैफ़ी से सीखे
- श्रद्धांजलि
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- 24 Nov, 2019

शौकत कैफ़ी ने कैफ़ी आज़मी के साथ मिलकर अपने बच्चों को संघर्ष की तमीज सिखाई। मुंबई में मज़दूरों का जब कोई भी संघर्ष होता था तो रेड फ्लैग हॉल के सभी परिवार शामिल होते थे। आज़मी दम्पति के साथ उनकी बेटी शबाना भी साथ जाती थीं। छोती थीं इसलिए वह पैदल तो चल नहीं सकती थीं, कॉमरेडों के कंधे पर ही बैठी रहती थीं।