पाकिस्तान के परमाणु और सामूहिक तबाही के हथियारों के ज़खीरे पर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू हो गयी है। जर्मनी से ख़बर है कि पाकिस्तान में अनाधिकृत तरीके से यह काम किया जा रहा है। आशंका है कि पाकिस्तान जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों में ऐसे लोगों और कंपनियों की तलाश कर रहा है जो परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों को बनाने और उनको विकसित करने की टेक्नोलॉजी मुहैया करा सकें। जर्मनी की सरकार का कहना है कि पाकिस्तान की इन गतिविधियों में इन दिनों जबरदस्त तेज़ी आई है। जर्मनी के एक विपक्षी सांसद के एक पत्र के जवाब में वहां की सरकार ने यह जानकारी दी है।
परमाणु हथियारों का ज़खीरा क्यों बना रहा है पाकिस्तान?
- दुनिया
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- 19 Nov, 2019

दुनिया में जिन देशों के पास भी परमाणु हथियार हैं, उन्होंने यह एलान कर रखा है कि वे किन हालात में अपने हथियार इस्तेमाल कर सकते हैं। आम तौर पर सभी परमाणु देशों ने यह घोषणा कर रखी है कि जब कभी ऐसे हालत पैदा होंगे कि उनके देश के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा तभी वे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेंगे। लेकिन पाकिस्तान ने ऐसी कोई लक्ष्मण रेखा नहीं बनाई है।
यह कोशिश कोई नई नहीं है। जर्मनी की ख़ुफ़िया एजेंसी बीएफवी ने 2018 में भी रिपोर्ट दी थी कि पाकिस्तान बहुत समय से ऐसी कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया था कि पड़ोसी मुल्क का फोकस परमाणु हथियारों की टेक्नोलॉजी पर ज़्यादा रहता है और यह कोशिश बहुत पहले से चल रही है। रिपोर्ट में एक और दिल दहलाने वाली बात लिखी है कि पाकिस्तान का सिविलियन परमाणु कार्यक्रम भारत को टार्गेट करके चलाया जा रहा है। जर्मनी की सरकार मानती है कि अभी पाकिस्तान के पास करीब 140 परमाणु हथियार हैं जिसको वह 2025 तक 250 तक पहुंचा देना चाहता है।