बनारसी संस्कृति, धर्म, परंपरा और लंठई की बुलंदी को फिर से स्थापित करने वाली एक किताब हाथ लगी है। नाम है - 'साधो ये उत्सव का गाँव।' अभिषेक उपाध्याय, अजय सिंह और रत्नाकर चौबे ने इस किताब का संपादन किया है। यह काशी की पंचक्रोशी यात्रा की यादों का एक बेहतरीन संकलन है। सभी यात्रियों की यादें इसमें लिखी गयी हैं।
काशी को और बेहतर समझाती है 'साधो ये उत्सव का गाँव'
- साहित्य
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- शेष नारायण सिंह
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- 17 Nov, 2019
बनारसी ठलुओं की एक अड़ी के कुछ लोगों ने बनारस को समझने के लिए अगस्त के अंतिम दिनों में काशी की पंचक्रोशी यात्रा की और अपने अनुभव लिखे। इन अनुभवों को एक किताब के रूप में छापा गया जिसका नाम है - ‘साधो ये उत्सव का गाँव।’ यह किताब काशी की पंचक्रोशी यात्रा की यादों का एक बेहतरीन संकलन है और सभी की यादों को इसमें बेहतर ढंग से जगह दी गई है।

हुआ यह कि बनारसी ठलुओं की एक अड़ी के कुछ नक्षत्रों को यह बताया गया कि तुम बनारस को ठीक से नहीं जानते, लिहाजा बनारस को समझने की एक यात्रा करते हैं। इन सबों ने मिलकर अगस्त के अंतिम दिनों में काशी की पंचक्रोशी यात्रा की और अपने अनुभवों को कलमबंद कर दिया। सारी यादें भाइयों ने वॉट्सऐप पर लिखीं और इसको पुस्तक के रूप में छाप दिया गया। यात्रा का घोषित उद्देश्य था कि काशी को ठीक से समझा जाएगा। लेकिन कई यात्रियों ने लिखा है कि उनकी हालत कोलंबस वाली हो गयी। कोलंबस खोजने निकले थे भारत और खोज निकाला अमरीका। लगभग उसी तरह कुछ ठलुओं ने कुबूल किया है उन्होंने यात्रा शुरू की थी, बनारस को पूरा खोजने के लिए लेकिन अंत में अपने आपको ही समझकर संतुष्ट हो गए।