दूसरी ओर, एनसीपी की ओर से पुणे में पार्टी की कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में सरकार गठन को लेकर एनसीपी का क्या रुख रहेगा और न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) के मसले पर चर्चा होगी।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि आख़िर सरकार गठन में इतनी देरी क्यों हो रही है। शरद पवार कह चुके हैं कि राज्य में तीनों ही दल मिलकर सरकार बनाएँगे और यह एक स्थिर सरकार होगी जो पूरे 5 साल चलेगी। तो क्या सीएमपी को लेकर एनसीपी और कांग्रेस के बीच कुछ उलझन है?
पटेल ने सोनिया को दी जानकारी
सोनिया गाँधी ने कुछ दिन पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल को एनसीपी नेताओं से बात करने के लिए मुंबई भेजा था। बताया जाता है कि वहां से लौटकर अहमद पटेल ने सोनिया गाँधी के सामने पूरी स्थिति साफ़ कर दी है। पटेल ने सीएमपी को लेकर एनसीपी और शिवसेना के रुख के बारे में भी सोनिया गाँधी को बताया है।शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच चर्चा के बाद सीएमपी का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसमें 40 बिंदु लिए गए हैं। सीएमपी के ड्राफ्ट में तीनों पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल मुद्दों को लिया गया है। इसमें किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारी और महंगाई से निपटने के उपाय, छात्रों की समस्याओं को लिया गया है। इसके साथ ही अल्पसंख्यकों को शिक्षा में 5 फीसदी आरक्षण पर शिवसेना को विरोध न करने के लिए राजी किया गया है। इस मसौदे को सोनिया गाँधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे के पास भेजा जा चुका है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा है कि सीएमपी के ड्राफ्ट पर सोनिया गाँधी की मंजूरी मिलने के बाद राज्य में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने का रास्ता साफ़ हो जाएगा।
विवादित मुद्दों से किया परहेज
सीएमपी में विवादित मुद्दों को जगह नहीं दी गई है। इनमें हिंदुत्व, मुसलिम आरक्षण और समान नागरिक संहिता का मुद्दा प्रमुख था। बताया जा रहा है कि शिवसेना के साथ इन तीनों मुद्दों पर कांग्रेस और एनसीपी की सहमति बन गई है। शिवसेना नेता संजय राउत ने विशेषकर हिंदुत्व के मुद्दे पर पार्टी का रुख साफ़ किया है और कहा है कि इस पर कोई टकराव इन दलों के बीच नहीं होगा। लेकिन फिर भी सवाल उठता है कि शरद पवार और सोनिया गाँधी की बैठक क्यों टल गई और पवार ने रविवार को ही अपनी पार्टी की कोर कमेटी की बैठक क्यों बुला ली।
शिवसेना का बनेगा सीएम!
ऐसी अटकलें हैं कि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना को देने के साथ ही एनसीपी और कांग्रेस से एक-एक डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं। सरकार गठन को लेकर शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि यानी 17 नवंबर को कोई बड़ा एलान होने की उम्मीद थी लेकिन अब लगता है कि इसमें कुछ दिन लग सकते हैं। एनसीपी की बैठक के साथ ही शिवसेना ने अपने सभी विधायकों को 17 नवंबर को मुंबई में मौजूद रहने के लिए कहा है।
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