loader
नागपुर हिंसा और इनसेट में संघ प्रवक्ता सुनील अंबेकर

नागपुर और औरंगजेब पर आरएसएस बोला, 8 बजरंग दल कार्यकर्ताओं का सरेंडर

नागपुर में मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे को लेकर शुरू हुआ विवाद थम नहीं रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रवक्ता सुनील अंबेकर ने बुधवार को कहा कि औरंगजेब आज के समय में प्रासंगिक नहीं हैं और किसी भी तरह की हिंसा समाज के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के 8 कार्यकर्ताओं ने बुधवार को पुलिस स्टेशन में सरेंडर कर दिया। इन पर एफआईआर है। इन दोनों संगठनों ने ही औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन का आह्वान किया था। उसके बाद हिंसा शुरू हो गई थी। इन सभी को गिरफ्तार किया गया और बाद में नागपुर की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें 3000 रुपये की जमानत राशि पर बेल दे दी गई। 

अंबेकर ने क्या कहा

संघ प्रवक्ता सुनील अंबेकर ने कहा, "सवाल यह है कि क्या औरंगजेब आज प्रासंगिक हैं? अगर हां, तो क्या उनका मकबरा हटाया जाना चाहिए? जवाब है कि वह प्रासंगिक नहीं हैं। किसी भी प्रकार की हिंसा समाज के लिए हानिकारक है।" उन्होंने हिंसा को रोकने और शांति बनाए रखने की अपील की। आरएसएस पदाधिकारी के बयान का अर्थ यही है कि औरंगजेब का मुद्दा अब प्रासंगिक नहीं है। जब वो प्रासंगिक नहीं है तो उनकी कब्र हटाने का मुद्दा भी बेकार है। औरंगजेब के नाम पर हिंसा समाज के लिए नुकसानदेह है।

ताजा ख़बरें

वीएचपी-बजरंग दल के 8 का सरेंडर

नागपुर हिंसा मामले में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के आठ सदस्यों ने बुधवार को कोतवाली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। नागपुर पुलिस ने कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। ये गिरफ्तारियां संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर उनके विरोध प्रदर्शन से जुड़ी थीं। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर बुधवार को अदालत में पेश किया। जिनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर है, वे हैं गोविंद शेंडे, अमोल ठाकरे, डॉ. महाजन, तयानी, रजत पुरी, सुशील, वृषभ अर्खेल, शुभम और मुकेश बारापात्रे। लेकिन सरेंडर 8 ने किया है। गोविंद शेंडे का संबंध गोवा से है। नागपुर हिंसा में यह पहली बार है कि जब पुलिस थाने में सरेंडर किया गया है। क्योंकि अभी तक यही तस्वीर आ रही थी कि हिंसा में ज्यादातर मुस्लिम पक्ष के लोग शामिल थे। लेकिन पुलिस ने दूसरे पक्ष के लोगों पर भी एफआईआर दर्ज की है। 

यह विवाद सोमवार को उस समय शुरू हुआ था, जब VHP और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने खुल्दाबाद में औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान औरंगजेब के पुतले को 'चादर' के साथ जलाया गया। इसके बाद अफवाह फैल गई कि चादर पर कुरान की आयतें थीं, जिन्हें जलाया गया है। इससे दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया। नतीजतन, महाल और हंसापुरी इलाकों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं। भीड़ ने घरों पर हमला किया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। वीएचपी और बजरंग दल ने प्रदर्शन से पहले बयान दिया था कि अगर औरंगजेब की कब्र नहीं हटाई गई तो उसका हाल बाबरी मस्जिद जैसा होगा। जिसे 6 दिसंबर 1992 को हिन्दू कारसेवकों ने अयोध्या में गिरा दिया था।

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'छावा', जो मराठा राजा छत्रपति संभाजी महाराज के इतिहास और औरंगजेब द्वारा उनकी हत्या को दर्शाती है, ने इस विवाद को और हवा दी। 

  • महाराष्ट्र में औरंगजेब पहले से ही एक ध्रुवीकरण करने वाला मुद्दा रहा है, और इस फिल्म ने इस संवेदनशीलता को फिर से उजागर किया।

कथित मास्टरमाइंड गिरफ्तार

बुधवार को पुलिस ने हिंसा के कथित मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान को गिरफ्तार किया। पुलिस का कहना है कि फहीम ने ही अफवाहें फैलाईं और दंगा कराया। फहीम माइनॉरिटीज डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) का नेता है। पुलिस का कहना है कि हिंसा सुनियोजित थी और इसमें पेट्रोल बम का इस्तेमाल हुआ, जो तुरंत नहीं मिल सकते। यानी उनकी तैयारी की गई थी। लेकिन बजरंग दल, वीएचपी, मंत्री नितेश राणा आदि की भड़काऊ बयानबाजी से इस हिंसा को नहीं जोड़ा गया है।  

nagpur-violence-aurangzeb-tomb-protest-rss-reacts - Satya Hindi
आरोपी फहीम शमीम खान

हालांकि VHP के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने दावा किया कि उनके संगठन का प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और हिंसा को भड़काने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा कि यह हिंसा सुनियोजित थी। पेट्रोल बम तुरंत नहीं मिलते, ये पहले से तैयार किए गए थे। हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, इसमें कोई उकसावा नहीं था।" हालांकि फडणवीस ने वीएचपी और बजरंग दल के बयानों का समर्थन किया था और यह भी कहा था कि वो भी चाहते हैं कि औरंगजेब की कब्र हटनी चाहिए लेकिन ऐतिहासिक विरासत साइट होने के कारण इसमें बाधाएं हैं। वैसे केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी की सत्ता है, अगर वो औरंगजेब की कब्र हटाना चाहेगी तो पुरातत्व नियम बदल कर हटा भी सकती है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह मांग औरंगजेब की कब्र हटाने के बाद अन्य विरासत धरोहरों को हटाने के लिए नहीं होगी। 

  • नागपुर हिंसा पर फडणवीस, बीजेपी, आरएसएस की प्रतिक्रिया ने सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष का आरोप है कि सत्तारूढ़ दल इस मामले में दोहरा रवैया अपना रहा है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने नागपुर हिंसा के लिए मंगलवार को बीजेपी और संघ से जुड़े संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था।

महाराष्ट्र से और खबरें

क्या चाहती है बीजेपी

यह घटना न केवल नागपुर बल्कि पूरे देश में बढ़ते धार्मिक उन्माद को लेकर एक चेतावनी भी है। ऐतिहासिक मुद्दों को लेकर बार-बार होने वाले विवाद और हिंसा देश की एकता को कमजोर करते हैं। औरंगजेब जैसे ऐतिहासिक चरित्रों पर बहस जरूरी हो सकती है। तीन सौ साल पहले के किसी शख्स की भूमिका को हिंसा का आधार बनाना कैसे और कहां तक उचित है। यह सवाल अब देश के लोगों को करना ही चाहिए। लेकिन तमाम राजनीतिक दल और संगठन अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं और भड़काऊ बयानों को लगातार हवा दे रहे हैं।

रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

महाराष्ट्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें