नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 ने देश में उथल-पुथल का माहौल पैदा कर दिया है। असम में आबादी का एक बड़ा हिस्सा बग़ावत की राह पर है। त्रिपुरा में जोरदार विरोध के चलते इंटरनेट बंद कर दिया गया है और पूरे राज्य में निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है। दिल्ली में भी इस विधेयक के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए हैं।
सुनिए अमित शाह जी, कांग्रेस नहीं जिन्ना और सावरकर थे बंटवारे के पैरोकार
- विचार
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- 11 Dec, 2019

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को लेकर देश भर में ख़ासी चर्चा है। कई विपक्षी राजनीतिक दलों ने बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के द्वारा लाये गए इस विधेयक को संविधान की आत्मा के ख़िलाफ़ और धार्मिक आधार पर बंटवारा करने वाला बताया है। वहीं, अमित शाह ने कांग्रेस को धर्म के आधार पर देश के बंटवारे का जिम्मेदार बताकर विधेयक को लेकर चल रही बहस को और तेज़ कर दिया है।
विधेयक को तैयार करने और उसको प्रस्तुत करने में बहुत सारी गलतियाँ हुई हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब लोक सभा में बिल को पेश करने की अनुमति लेने के लिए चर्चा का जवाब दिया तो उन्होंने इतिहास का ग़लत उल्लेख कर दिया। उन्होंने कांग्रेस को फटकारते हुए कहा, ‘आपको मालूम है कि यह बिल लाना क्यों ज़रूरी है?’ उन्होंने जवाब भी ख़ुद ही दिया और कहा कि अगर कांग्रेस ने धार्मिक आधार पर देश का बंटवारा न किया होता तो इस बिल को लाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। सदन में मौजूद कांग्रेस के शशि थरूर ने उनके इस दावे का ज़बरदस्त विरोध किया। थरूर ने कहा कि धार्मिक आधार पर देश के बंटवारे का समर्थन जिन्ना ने किया था।