१९७३ में सुल्तानपुर शहर में सबसे जीवंत जगह मुझे बस अड्डे पर मौजूद अख़बार की दुकान लगती थी। उसी दुकान पर इलाहाबाद से छपने वाली एक पत्रिका ‘आगामी कल’ का दर्शन हुआ था। उस दुकान को चलाने वाले बुज़ुर्ग में बहुत ही गंभीरता दिखती थी। मेरे हाई स्कूल के सहपाठी गया प्रसाद सिंह वकील बन चुके थे और सुल्तानपुर में वकालत करते थे। उनके घनिष्ठ मित्र राज खन्ना से वहीं मुलाक़ात हुयी, जो आज तक बहुत ही भरोसे के दोस्त हैं।
किसी के दबाव में नहीं आते थे डी. पी. त्रिपाठी
- श्रद्धांजलि
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- 4 Jan, 2020

डीपीटी के व्यक्तित्व की जो सबसे बड़ी बात मुझे समझ में आयी वह यह कि वह इंसान किसी के बारे में कुछ भी नेगेटिव बात नहीं करता था।... डीपीटी यानी देवी प्रसाद त्रिपाठी को याद कर भावुक हुए उनके मित्र और वरिष्ठ पत्रकार शेष नारायण सिंह।