राहुल सांकृत्यायन अथक यायावर हुए हैं। उनके बाद 'बाबा' को यह खिताब अथवा दर्जा हासिल हुआ। फिर किसी को नहीं। बाबा यानी वैद्यनाथ मिश्र विद्यार्थी वैदेह यात्री नागार्जुन बाबा! जनवादी-प्रगतिशील हिंदी और मैथिली कविता के अप्रीतम हस्ताक्षर। जिनका साहित्य और जीवन खिली हुई धूप सरीखा था। हिंदी और मैथिली में लिखे गए उनके संपूर्ण साहित्य में अंधेरे के ख़िलाफ़ लड़ने का आह्वान है, लोकद्रोही, सांप्रदायिक व फासीवादी शक्तियों के ख़िलाफ़ जेहाद की उकसाहट है, क्रांति के सपने हैं और भूख-वर्गीय ग़रीबी से गरिमा के साथ जूझने की यथार्थवादी तरकीबें हैं। गद्य में जो काम मुंशी प्रेमचंद ने किया, आगे जाकर पद्य में नागार्जुन ने किया।