बलराज साहनी होना या बनना सबके बूते की बात नहीं और शायद इसीलिए उन सरीखी शख्सियत एक ही हुई! उनका जन्म 1 मई 1913 को हुआ, यानी मज़दूर दिवस के दिन, अब पाकिस्तान का हिस्सा हो चुके रावलपिंडी में। कई के दिलो-दिमाग में बलराज साहनी इसलिए भी छाए हुए हैं कि वह एक बहुपक्षीय शख्सियत थे, ज़बरदस्त और अति प्रभावकारी विलक्षणता लिए हुए। यक़ीनन महान थे लेकिन महानता के प्रचलित दंभ से कोसों दूर। साठ साल का उनका जीवन लोक और लोकाचार के मानवीय बुनियादी उसूलों को समर्पित था।
श्रद्धांजलि: बलराज साहनी में गाँधी और भगत सिंह दोनों ज़िंदा थे!
- श्रद्धांजलि
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- 1 May, 2020

आज यानी एक मई को बलराज साहनी का जन्म दिवस है। उनका जन्म 1 मई 1913 को हुआ था और उन्होंने 13 अप्रैल, 1973 को दुनिया को अलविदा कह दिया।
देश-विदेश घूमते हुए हर जगह से ऐसा सब कुछ ग्रहण किया जो बेहतर ज़िंदगी के लिए कोई रास्ता दे सकता हो। जो ग्रहण किया उसे भी व्यावहारिक रूप देने में पूरी ज़िंदगी-जान लगा दी। उसूलों-विचारधारात्मक आग्रहों के लिए आरामदायक ज़िंदगी (जो उन्हें सहज हासिल थी) की बजाय सलाखों का चयन भी किया। व्यवस्था में आमूल बदलाव का जज्बा था इसलिए हर कुर्बानी के लिए तार्किकता के साथ तत्पर थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि गाँधी जी से संपर्क रखने वाले साहनी शहीद भगत सिंह के बहुत बड़े प्रशंसक और हमख्याल थे।