बार-बार के इस्तेमाल से सच भी घिस पिट कर तुच्छ बन जाता है। वोट के बदले नकद बाँटने के इस मूर्खतापूर्ण मौसम में काम करने नहीं, आश्वासन देने की राजनीति के पराग कण हवा में छितराए हुए हैं। ऐसी कोई पार्टी नहीं है, जिसने मतदाताओं को मुफ़्त की चीजों के रूप में घूस देने की कोशिश न की हो। पाखंड कभी ख़त्म नहीं होता है। हर पार्टी दूसरी पार्टी का यह कह कर मखौल उड़ा रही है कि उसने जो वायदे किए हैं, वे कभी पूरे नहीं हो सकते।