हॉलिवुड के 'माचो रहस्य' माने जाने वाले और पूर्व राष्ट्रपति रोनल्ड रेगन से एक बार रहस्यमय प्रश्न पूछा गया था, ‘एक अभिनेता को क्या पता होता है?’ उन्होंने इसका जवाब रिपब्लिकन उम्मीदवार के रूप में दो बार राष्ट्रपति चुनाव जीत कर दिया था। भारत के प्रसिद्ध एमजीआर और एनटीआर की तरह ही अमेरिकी काउब्वॉय रेगन ने शीत युद्ध के चरम पर यह साबित कर दिया कि अभिनेता वाकई चुनाव जीतने की कला जानते हैं। उन्होंने यह भाँप लिया था कि ‘दुष्ट साम्राज्य’ का सामना करने के लिए उनके देश को कैप्टन अमेरिका की ज़रूरत है। फंतासी को सच्चाई बना कर पेश करना ही तो सिनेमा है। इस मशहूर अमेरिकी कलाकार ने ग्लैमर की मायावी दुनिया को राजनीतिक हक़ीक़त की पश्चिमी बुनावट में ख़ुद को ढाल लिया। आज, भारत के राजनेता फ़िल्म सितारों से काफ़ी सम्मोहित हैं। रेगन का मामला इसके उलट था। उन्होंने राजनेताओं की अगुआई की थी। उन्होंने दूसरे फ़िल्म सितारों की भूमिका का समर्थन किए बग़ैर ह्वाईट हाउस पर कब्जा कर लिया।
चुनाव में फ़िल्मों के आकर्षण से बेमानी हो रहे हैं राजनीतिक सिद्धांत
- सच्ची बात
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- 29 Apr, 2019

अभिनेताओं के साथ फोटो खिंचाकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट करना अब कल की बात हो चुकी है। अब तो बालीवुड का कोई बड़ा कलाकार ख़ुद चुनाव लड़ कर या किसी के लिए चुनाव प्रचार कर इस तरह का राजनीतिक वातावरण बना दे रहा है कि राजनेताओं की स्थिति कमज़ोर हो गई है।