‘शराब के शौक़ीन, एक उम्दा मोती, खु़श लहजे के आसमान के चौदहवीं के चाँद और इल्म की महफ़िल के सद्र। ज़हानत के क़ाफ़िले के सरदार। दुनिया के ताजदार। समझदार, पारखी निगाह, ज़मीं पर उतरे फ़रिश्ते, शायरे-बुजु़र्ग और आला। अपने फ़िराक़ को मैं बरसों से जानता और उनकी ख़ासियतों का लोहा मानता हूँ। इल्म और अदब के मसले पर जब वह ज़बान खोलते हैं, तो लफ़्ज़ और मायने के हज़ारों मोती रोलते हैं और इतने ज़्यादा कि सुनने वाले को अपनी कम समझ का एहसास होने लगता है। वह बला के हुस्नपरस्त और क़यामत के आशिक़ मिज़ाज हैं और यह पाक ख़ासियत है, जो दुनिया के तमाम अज़ीम फ़नकारों में पाई जाती है।’