प्रेमचंद के कैनवस के फटे जूते पर निगाह मुक्तिबोध की गई और उनके मित्र हरिशंकर परसाई की भी। जो फ़ोटो मुक्तिबोध ने देखी थी, वह प्रसाद के साथ थी। परसाईजी दूसरा फ़ोटो देख रहे हैं,
प्रेमचंद 140 : तीसरी कड़ी- दीनता के भार के तले प्रेमचंद के जाने कितने ही पात्र कुचले गए!
- साहित्य
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- 22 Jul, 2020

‘पूस की रात’ के किसान के दुःख से आज का किसान भी अच्छी तरह परिचित है। हल्कू ‘कम्मल’ के लिए बचाए गए रुपए लगान के तौर पर सहना को दिए जा चुके हैं: 'हल्कू ने रुपये लिये और इस तरह बाहर चला मानो अपना हृदय निकालकर देने जा रहा हो। ...एक-एक पग के साथ उसका मस्तक अपनी दीनता के भार से दबा जा रहा था।' परिस्थिति की क्रूरता को व्यक्त करने के लिए इससे अधिक मारक या मर्मांतक कुछ कहा नहीं जा सकता था। दीनता के इस भार के तले प्रेमचंद के जाने कितने ही पात्र कुचले गए हैं! प्रेमचंद के 140 साल पूरे होने पर सत्य हिन्दी की विशेष शृंखला की तीसरी कड़ी।