कांग्रेस की कई राज्य इकाइयों में जबरदस्त घमासान चल रहा है। कांग्रेस संगठन में ग़जब की बात यह है कि यहां जो भी घमासान होता है, वह तुरंत मीडिया में आ जाता है और इसके बाद गुटबाज़ नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ते हैं और पार्टी का बंटाधार कर देते हैं।
हुआ यह है कि केरल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को ख़त लिखा है और कहा है कि वे बहुत अपमानित महसूस कर रहे हैं। चेन्निथला का ये दर्द वीडी सतीशन को विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त करने के बाद छलका है। इससे पहले चेन्निथला ही विधानसभा में विपक्ष के नेता थे।
उधर, पंजाब में अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू के बीच सियासी युद्ध जारी है और राजस्थान में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की लड़ाई की भी आहट फिर से सुनाई दी है क्योंकि पायलट समर्थक विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया है।
इस बार चांडी-चेन्निथला साथ थे
बहरहाल, राज्यों में कांग्रेस नेताओं के हठ से परेशान हाईकमान ने केरल में नेता विपक्ष के चयन में गुटबाज़ी को नकारते हुए फ़ैसला लिया और वी. सतीशन को इस पद की कमान सौंपी। बावजूद इसके कि बार पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और रमेश चेन्निथला के गुटों ने हाथ मिला लिए थे और चांडी भी चेन्निथला को फिर से नेता विपक्ष बनाने के लिए सहमत हो गए थे।
सतीशन की नियुक्ति कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के मजबूती से उनके पक्ष में खड़े रहने के कारण हुई।
ख़ैर, चेन्निथला ने सोनिया गांधी को लिखे ख़त में कहा है कि जिस तरह पार्टी हाईकमान ने विपक्ष के नेता के चयन के मामले को हैंडल किया और उनके जैसे वरिष्ठ नेता के साथ बहस की गई, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, चेन्निथला ने ख़त में लिखा है कि वह बावजूद इसके भी कि केरल के ज़्यादातर कांग्रेस विधायकों और वरिष्ठ नेताओं का समर्थन उनके पास है, हाईकमान के आदेश को ख़ुशी से मंजूर कर लेते, अगर उन्हें इस बात का संकेत मिला होता कि पार्टी हाईकमान की इच्छा नेता विपक्ष के पद पर किसी दूसरे नेता के चयन की है।
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केंद्रीय नेताओं से की बात
चांडी और चेन्निथला ने इस बारे में एआईसीसी के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल से बात की है। इसके अलावा केरल में नेता विपक्ष का चयन करने के लिए बनाए गए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे से भी बात की है लेकिन खड़गे ने भी साफ कह दिया है कि पार्टी हाईकमान ने इस मामले में खुले दिमाग के साथ फ़ैसला लिया है।
चेन्निथला ने लिखा है कि अचानक लिए गए इस फ़ैसले के कारण उन्हें धक्का लगा है औऱ दुख पहुंचा है।
पुराने नेता हैं चेन्निथला
चेन्निथला लंबे वक़्त से कांग्रेस में हैं और भारतीय युवक कांग्रेस और एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। वह 9 साल तक केरल कांग्रेस के भी अध्यक्ष रहे और चार बार सांसद रहने के साथ ही पांच बार विधायक और सीडब्ल्यूसी के सदस्य रहे। इससे साफ होता है कि चेन्निथला केरल में लोकप्रिय राजनेता हैं और लंबे राजनीतिक करियर के हिसाब से उनके समर्थकों की भी अच्छी संख्या है।
गुटबाज़ी ने डुबोई नैया
केरल कांग्रेस में नेताओं के बीच जबरदस्त गुटबाज़ी की वजह से ही राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव के दौरान कई दिन वहां गुजारे थे और गुटबाज़ी पर लगाम लगाने की कोशिश की थी। लेकिन मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और रमेश चेन्निथला के साथ ही बाक़ी कुछ और नेताओं के गुटों ने भी पार्टी की नैया डुबो दी। वरना, इस बार माना जा रहा था कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) वाम दलों के गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) को चुनाव में हरा देगा।
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गुटबाज़ी के कारण गए पीसी चाको
केरल कांग्रेस में एक गुट पीसी चाको का भी था जिन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया था। चाको ने इस्तीफ़ा देने के बाद जारी पत्र में कहा था कि उन्होंने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन केरल कांग्रेस की टीम के साथ काम कर पाना बेहद मुश्किल है। चाको ने यह भी लिखा था कि लोग चाहते हैं कि कांग्रेस केरल में वापस लौटे लेकिन पार्टी के शीर्ष नेता गुटबाज़ी में शामिल हैं। चाको को एनसीपी ने केरल इकाई का अध्यक्ष बनाया है।
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