राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक बार फिर प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई से जुड़े रहे नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी की है। इंडिया टुडे के मुताबिक, केरल में लगभग 56 ठिकानों पर यह छापेमारी की गई है। बता दें कि 28 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीएफआई पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।
इससे जुड़े आठ अन्य संगठनों के खिलाफ भी प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की गई थी।
उससे पहले एनआईए ने पीएफआई से जुड़े लोगों के खिलाफ ताबड़तोड़ छापेमारी की थी और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था और हिरासत में लिया था।
इंडिया टुडे के मुताबिक, यह ताजा छापेमारी पीएफआई के पूर्व पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के द्वारा आपराधिक साजिश रचने के मामले में की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि ये लोग भारत के अलग-अलग हिस्सों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारत और विदेशों से पैसा इकट्ठा कर रहे थे।
एनआईए की यह छापेमारी तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, एर्नाकुलम, अलप्पुझा और मलप्पुरम जिलों में हुई है। छापेमारी में पीएफआई के लिए गुप्त रूप से काम करने वाले लोगों को भी निशाने पर लिया गया है। जांच एजेंसियों के मुताबिक केरल में पीएफआई के सबसे ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं।
पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने से पहले एनआईए ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, असम आदि प्रदेशों में छापेमारी की थी।
एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। पीएफआई ने कहा था कि यह फासीवादी सरकार द्वारा एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश है।
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपीआई ने पीएफआई पर बैन लगाए जाने को बीजेपी सरकार का अघोषित आपातकाल बताया था। एसडीपीआई पीएफआई का राजनीतिक संगठन है।
पीएफआई के अलावा रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल पर भी प्रतिबंध लगाया गया था।
पीएफआई पर लगे हैं गंभीर आरोप
केरल के लगभग सभी जिलों में पीएफआई की जबरदस्त मौजूदगी है और वहां इस संगठन पर हत्या करने, दंगा करने और आतंकी संगठनों से तार जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2012 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि पीएफआई प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी का ही एक नया रूप है। राज्य सरकार ने अदालत को सौंपे गए हलफनामे में कहा था कि पीएफआई के कार्यकर्ता हत्या के 27 मामलों में शामिल रहे हैं और इनमें से अधिकतर मामले सीपीएम और आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्या के हैं।
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