ईडी अब सीपीआई (एम) को आरोपी बनाने की तैयारी में है। पिछले महीने ही इसने देश के इतिहास में पहली बार आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया था। हालाँकि दोनों मामले अलग-अलग हैं।
जिस मामले में ईडी सीपीआई (एम) पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है उसमें त्रिशूर में करुवन्नूर सहकारी बैंक में हेराफेरी के आरोप लगे हैं। ईडी इस मामले की जांच कर रहा है। ये कोऑपरेटिव बैंक सीपीआई (एम) द्वारा नियंत्रित है। त्रिशूर बैंक मामले में बैंक कर्मचारियों द्वारा अनुमानित 300 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप हैं। इसमें आरोपियों में कथित तौर पर सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) के स्थानीय पदाधिकारी भी शामिल हैं।
ईडी द्वारा किसी मामले में किसी राजनीतिक दल को आरोपी के रूप में सूचीबद्ध करने का यह दूसरा मामला है। पिछले महीने एजेंसी ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया था। अब इसी तर्ज पर सीपीआई (एम) के ख़िलाफ़ कार्रवाई किया जाना तय है।
इस तथाकथित घोटाले ने राज्य माकपा को हिलाकर रख दिया था। पार्टी 2021 में केरल के मजबूत सहकारी आंदोलन पर गर्व करती थी। इस पर ज्यादातर पार्टी का नियंत्रण था। बैंक के शासी निकाय के ग्यारह सदस्यों और छह कर्मचारियों को 18 मामलों के अंतराल में गिरफ्तार किया गया था। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल ईडी ने कहा था कि बैंक ने कथित तौर पर सीपीआई (एम) विधायक और पूर्व मंत्री ए सी मोइदीन के इशारे पर बेनामी ऋण बाँटे। अगस्त 2023 में ईडी ने त्रिशूर में मोइदीन के घर पर छापा मारा था। एलडीएफ शासन के दौरान मोइदीन 2016 से 2021 तक स्थानीय स्वशासन विभाग के मंत्री थे। इससे पहले, उन्होंने त्रिशूर में सीपीआई (एम) के जिला सचिव के रूप में कार्य किया था।
ईडी ने पार्टी कार्यालय की जमीन और सीपीआई (एम) के विभिन्न बैंक खातों में जमा 60 लाख रुपये की नकदी को भी अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है।
उन्होंने कहा, 'माकपा की शैली के अनुसार, पार्टी कार्यालयों के लिए भूमि संबंधित जिला समितियों द्वारा खरीदी जाती है, लेकिन टाइटल डीड पार्टी जिला सचिव के नाम पर तैयार किया जाता है। यह कदम राजनीति से प्रेरित है।' ईडी ने पिछले साल केरल पुलिस की जांच से संकेत मिलने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत जांच शुरू की थी। त्रिशूर के पोराथिसेरी में स्थित जिस जमीन को जब्त किया गया है, वह पार्टी शाखा समिति कार्यालय के लिए थी। इसे माकपा के जिला सचिव एम एम वर्गीस के नाम पर तैयार किया गया था। आरोप है कि जमीन खरीदने के लिए काले धन का इस्तेमाल किया गया।
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