कोरोना के दौर में निर्यात के थमे रहने और सिर्फ़ तेल मंगाते जाने की मजबूरी के चलते आयात बिल बढ़ते रहने की मजबूरी जैसे-जैसे कम होती जा रही है वैसे-वैसे उन अर्थशास्त्रियों का दिल बैठ रहा है जो अचानक निर्यात तेज होने और डॉलर की आमदनी बढ़ने से उसका रेट गिरने की उम्मीद लगाए बैठे थे। हाल में डॉलर और चढ़कर लगभग चौहत्तर रुपए तक पहुँच गया था। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काफ़ी विरोधी उनकी उस बात को याद करते हैं और आलोचना के एक मुद्दे की तरह प्रचारित करते हैं जो उन्होंने 2014 चुनाव के बारे में कही थी।