इसमें कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है कि चुनाव तो पांच राज्यों में हो रहे हैं और चर्चा सारी उत्तर प्रदेश ही लिए जा रहा है। इस हिसाब से प्रियंका की महिला वाली पहल चर्चा पाती है या अखिलेश यादव की रैलियों में उमड़ी भीड़। प्रियंका की बातें मतदाताओं पर क्या असर डालेगी, यह तो दो महीने बाद पता चलेगा।