पुरानी कहावत है 'बूंद-बूंद से घड़ा भरता है।' यहाँ तो पेट्रोल-डीज़ल की बूंदों से केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अपनी-अपनी तिजोरी भरने में लगी हैं। हर दूसरे-तीसरे दिन पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतों में चवन्नी भर का इज़ाफ़ा होता है। आम आदमी की जेब ढीली होती है।