हिम्मत की ज़रूरत थी, हिम्मत तो दिखाई गई है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस अंदाज़ में बजट की शुरुआत की उससे ही साफ़ है कि सरकार कुछ कर गुज़रने के मूड में है। किस विकट परिस्थिति में हैं हम और कितनी बड़ी चुनौती है ऐसे में बजट बनाना, यह किसी से छिपा नहीं है। कोरोना के कहर और उससे पैदा हुए दर्द का ज़िक्र किया वित्तमंत्री ने। लेकिन साथ ही गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की वो कविता भी सुनाई जिससे अंधेरा रहते हुए ही सुबह की रौशनी देखनेवाले परिंदे का ज़िक्र होता है।