प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीज़ल और पेट्रोल की महँगाई के लिए पिछली सरकारों की ग़लत ऊर्जा नीति को दोषी ठहरा दिया है और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 'ओपेक' देशों द्वारा कीमत बढाने और सरकार द्वारा किए जा रहे ग़रीब कल्याण के कार्यक्रमों के भारी खर्च को तेल की कीमतों के कम न होने का कारण बता दिया है, लेकिन जिस बात पर बीजेपी प्रवक्ता और संघ परिवार के लोग अचानक जोर देने लग़े हैं वह है पिछली यूपीए सरकारों द्वारा जारी ऑयल बॉन्ड की देनदारियाँ।
ऑयल बॉन्ड के बहाने तेल की कीमतों को सही बताने की सरकार की भौंडी कोशिश
- अर्थतंत्र
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- अरविंद मोहन
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- 25 Feb, 2021


अरविंद मोहन
आप साल में इस मद पर 10 हज़ार करोड़ भी खर्च नहीं कर रहे हैँ और हर साल डेढ, पौने दो लाख से लेकर ढाई लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त वसूली करने लगे हैं। इस बॉन्ड का एक और हिस्सा अभी अक्टूबर में मैच्योर होगा। अब तक प्रधानमंत्री के लिए हजारों करोड़ में एक जोड़ा विशेष विमान खरीदने और सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर हजारों करोड़ रुपए खर्च करने का फैसला किस ‘गरीबी’ मेँ लिया गया है, यह याद भी नहीं आता।
इस बात को आज ऐसे अन्दाज में बताया जा रहा है कि सरकार इन देनदारियों को सम्भालते सम्भालते परेशान है और अब तक लिहाज़ करके इस मसले को उठा नहीं रही थी। लेकिन जब महंगाई का शोर ज़्यादा हो गया है तो इसे बताना पड़ रहा है।
यह सरासर झूठ है और बॉन्ड जारी करना या उसकी देनदारियाँ चुकाना सरकारी वित्त के मैनेजरों का स्वाभाविक और नियमित काम है।
अरविंद मोहन
अरविंद मोहन वरिष्ठ पत्रकार हैं और समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।