आज़ादी मापने की चीज है या नहीं, अनुभव करने की चीज है या नहीं या फिर देश और नेता के नाम पर सब कुछ भूल जाने की आदत डाल लेनी चाहिए? यह सवाल अमेरिका की संस्था, केटो इंस्टीट्यूट और कनाडा की संस्था फ्रेजर इंस्टीट्यूट द्वारा जारी दुनिया के 162 देशों की रैंकिंग के बाद ढंग से उठाए जाने चाहिए थे क्योंकि इसमें भारत की आज़ादी को ‘आधी’ बता दिया गया है और उसकी रैंकिंग 94वें स्थान से गिरकर 111 स्थान पर आ गई है। और इसे आधार बनाकर जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश के लोकतांत्रिक न होने का दावा करते हैं तो बीजेपी और संघ परिवार बड़ी सुविधा से इस बहस को शुरू होने से पहले ही हवा में उड़ा देने का प्रयास करते हैं।