‘मेक इन इंडिया’ के ज़रिए देश को मैन्युफैक्चिरिंग यानी विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना देने की घुट्टी पिलाने के सवा 10 साल बाद आखिरकार मोदी सरकार ने मान लिया कि इस मोर्चे पर वह विफल है। ताज़ा आर्थिक सर्वेक्षण में विनिर्मित वस्तुओं के मामले में चीन से आयात पर भारी निर्भरता पर जितनी गहरी चिंता जताई गई है वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को दुनिया का कारखाना बना देने के बड़बोले दावे की विफलता का कबूलनामा है। इससे साफ़ है कि सालाना दो करोड़ रोजगार देने और हरेक नागरिक के खाते में 15 लाख रुपए जमा करने के वायदे की तरह प्रधानमंत्री मोदी का मेक इन इंडिया संबंधी दावा भी जुमला साबित हुआ है।