कोरोना के झंझावात के बाद किसे उम्मीद थी कि भारत की अर्थव्यवस्था साल ख़त्म होने से पहले ही पटरी पर लौटती दिखने लगेगी। लेकिन ऐसा ही होता दिख रहा है। लगातार ऐसी रिपोर्ट और आँकड़े सामने आ रहे हैं कि भारत में रिकवरी की रफ़्तार उम्मीद से तेज़ है। भारत सरकार की न मानें तब भी देश और दुनिया की तमाम संस्थाओं की गवाही मौजूद है। रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर यानी एसएंडपी का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा।

भारत का हाल सुधरने के रास्ते में भी अभी कुछ रोड़े अटक सकते हैं यह आशंका अभी ख़त्म नहीं हुई है। सबसे बड़ी चिंता तो अभी यह है कि कहीं कोरोना की एक और बड़ी लहर तो नहीं आ रही है। जिस रफ़्तार से महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक में नए केस फिर बढ़ रहे हैं उससे यह डर भी बढ़ रहा है। कोरोना वायरस के नए रंग रूप या स्ट्रेन ने महाराष्ट्र के बड़े हिस्से को मुश्किल में डाल रखा है।
चालू साल के लिए भी उसने भारत की जीडीपी में गिरावट का आँकड़ा (-) 9% से बढ़ाकर (-) 7.9% कर दिया है। जापान की मशहूर ब्रोकरेज नोमुरा का तो अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में गिरावट सिर्फ़ 6.7% ही रहेगी और अगले साल यानी 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था में 13.5% की बढ़त दर्ज होगी। यह आँकड़ा भारत के रिज़र्व बैंक के अनुमान से भी बेहतर है जिसे इस साल जीडीपी में 7.7% की गिरावट और अगले साल 10.5% बढ़त होने की उम्मीद है।